संभल, 14 जुलाई (भाषा) उत्तर प्रदेश के संभल जिले में 46 साल बाद खुले कार्तिकेय महादेव मंदिर में श्रावण माह के पहले सोमवार को शिव भक्तों का हुजूम उमड़ा और श्रद्धालुओं ने मंदिर में रुद्राभिषेक किया। पुलिस सूत्रों ने यह जानकारी दी।
संभल के नखासा क्षेत्र के खग्गू सराय मोहल्ले में स्थित इस प्राचीन कार्तिकेय महादेव मंदिर में अपराह्न एक से तीन बजे तक पूजा-अर्चना का कार्यक्रम हुआ। इससे पहले, चौबीस कोसीय मासिक परिक्रमा समिति के तत्वावधान में आचार्य पंडित विनीत शर्मा, पंडित विशाल शर्मा और पंडित वैभव शास्त्री ने विधिवत मंत्रोच्चारण के साथ भगवान शिव का रुद्राभिषेक संपन्न कराया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार सुरक्षा की दृष्टि से स्थानीय पुलिस के साथ-साथ त्वरित प्रतिक्रिया बल की टुकड़ी भी तैनात की गई। मंदिर परिसर और श्रद्धालुओं की गतिविधियों पर सीसीटीवी कैमरों से नजर रखी गई।
चौबीस कोसीय परिक्रमा समिति ने श्रावण मास में संभल के कार्तिकेश्वर मंदिर, संभलेश्वर मंदिर, चंद्रेश्वर मंदिर और भुवनेश्वर मंदिर में भी रुद्राभिषेक का आयोजन किया। श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक कर भगवान शिव से मनोकामनाएं मांगी।
करीब 46 साल बाद इस कार्तिकेय महादेव मंदिर के कपाट खुलने के बाद आज श्रावण के पहले सोमवार को शिव भक्तों ने जलाभिषेक और रुद्राभिषेक किया।
चौबीस कोसीय परिक्रमा समिति के पदाधिकारी राजकुमार शर्मा ने बताया कि 46 साल बाद खुले इस कार्तिकेय महादेव मंदिर में शिव भक्तों ने जलाभिषेक और रुद्राभिषेक किया।
उन्होंने कहा कि समिति की ओर से श्रावण मास में संभल के कार्तिकेश्वर मंदिर, संभलेश्वर मंदिर, चंद्रेश्वर मंदिर और भुवनेश्वर मंदिर में आज रुद्राभिषेक किया गया है। यह श्रावण मास के हर सोमवार को किया जाएगा।
श्रद्धालु कैलाश चंद्र ने बताया कि इस प्राचीन कार्तिकेय महादेव मंदिर में श्रावण महोत्सव मनाया जा रहा है। सभी लोग रुद्राभिषेक और जलाभिषेक कर रहे हैं। बहुत ही आनंद की प्राप्ति हो रही है।
गौरतलब है कि 14 दिसंबर 2024 को खग्गू सराय इलाके में 46 साल से बंद कार्तिकेय महादेव का मंदिर को खोला गया था। अधिकारियों ने मंदिर के अंदर जाकर देखा तो उसमें हनुमान जी की मूर्ति और एक शिवलिंग पाया गया था। स्थानीय लोगों के मुताबिक वर्तमान में मुस्लिम बहुल हो चुके खग्गू सराय में समय के साथ हिंदू समाज के लोगों की आबादी घटने से इस मंदिर के कपाट बंद कर दिये गये थे। उसके बाद से यह मंदिर बंद ही रहा था।
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