मुंबई, 14 जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र विधान परिषद ने मादक पदार्थ तस्करों और संबंधित अपराधों को कड़े संगठित अपराध-निरोधक कानून ‘मकोका’ के दायरे में लाने के लिए एक विधेयक में संशोधन को सोमवार को मंजूरी दे दी।
महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) में संशोधन करने वाले इस विधेयक को उच्च सदन ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इससे पहले, विधानसभा ने नौ जुलाई को इसे पारित किया था।
राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद कानून के प्रभावी होने के परिणामस्वरूप मादक पदार्थों के तस्करों के लिए गिरफ्तारी के बाद जमानत पाना मुश्किल हो जाएगा।
महाराष्ट्र के गृह राज्य मंत्री (शहरी) योगेश कदम ने कहा कि दो जुलाई को मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधान परिषद में कहा था कि सरकार मौजूदा क़ानूनों में संशोधन करेगी, ताकि मादक पदार्थ तस्करों पर इस कड़े अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जा सके। फडणवीस के पास गृह मंत्रालय का प्रभार भी है।
मुख्यमंत्री की घोषणा के एक सप्ताह बाद ही यह विधेयक विधानसभा में पेश किया गया और अब इसे राज्य विधानमंडल के दोनों सदनों से मंजूरी मिल गई है।
इस संशोधन का उद्देश्य ‘संगठित अपराध’ की परिभाषा का विस्तार करना था, ताकि स्वापक औषधि और मन:प्रभावी पदार्थों से संबंधित गतिविधियों को मकोका के दायरे में लाया जा सके।
इस विधेयक में स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थों के उत्पादन, निर्माण, कब्जा, बिक्री और परिवहन को संगठित अपराध के रूप में परिभाषित करने का प्रस्ताव था।
वर्तमान में, मादक पदार्थों के कारोबार में शामिल लोगों पर स्वापक औषधि एवं मन:प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम, 1985 के तहत मामला दर्ज किया जाता है।
मकोका में कई कड़े प्रावधान हैं, जिनमें (आरोपियों के लिए) हिरासत की अवधि बढ़ाना, जमानत की सख्त शर्तें और पुलिस अधिकारियों के समक्ष स्वीकारोक्ति की स्वीकार्यता शामिल है।
इसके अलावा, गंभीर अपराधों के लिए भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत मानक 90 दिनों की तुलना में पुलिस को आरोप पत्र दायर करने के लिए अधिक लंबी अवधि (180 दिन) मिलती है।
भाषा सुरेश दिलीप
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