नयी दिल्ली, 14 जुलाई (भाषा) नीति आयोग ने सोमवार को सुझाव दिया कि भारत को अमेरिका के साथ व्यापार समझौते में सेवा क्षेत्र पर विशेष जोर देना चाहिए। इसमें भारत-ब्रिटेन समझौते के मॉडल का अनुसरण किया जाना चाहिए और सूचना प्रौद्योगिकी, वित्तीय सेवाओं, पेशेवर सेवाओं और शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
आयोग ने व्यापार पर तिमाही रिपोर्ट के तीसरे संस्करण में कहा कि उत्पादों की संख्या और अमेरिकी बाजार के आकार, दोनों के संदर्भ में अमेरिकी बाजारों में भारत के लिए महत्वपूर्ण अवसर होंगे।
इसमें कहा गया, ‘‘भारत-ब्रिटेन समझौते के मॉडल पर आगे बढ़ते हुए, भारत को अमेरिका के साथ सेवा-उन्मुख व्यापार समझौते पर आगे बढ़ना चाहिए। इसमें सूचना प्रौद्योगिकी, वित्तीय सेवाओं, पेशेवर सेवाओं और शिक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों पर जोर दिया जाना चाहिए।’’
आयोग ने कहा कि समझौते में डिजिटल व्यापार के लिए मजबूत प्रावधान शामिल होने चाहिए, जिससे सीमापार सेवा वितरण में सुधार के लिए एक रूपरेखा तैयार हो सके।
रिपोर्ट के अनुसार, भारत को अपने पेशेवरों के लिए विशेष रूप से एच-1बी और एल-1 श्रेणियों के तहत, बेहतर वीजा पहुंच की वकालत करनी चाहिए।
डिजिटल रूप से वितरित सेवाओं (डीडीएस) की बढ़ती वैश्विक मांग के साथ, आयोग ने कहा कि भारत को साइबर सुरक्षा, कृत्रिम मेधा, दूरसंचार और डिजाइन सेवाओं जैसे उच्च-विकास वाले क्षेत्रों में अमेरिका से बाजार पहुंच को लेकर प्रतिबद्धताएं हासिल करनी चाहिए।
आयोग ने कहा, ‘‘इन क्षेत्रों में भारत की ताकत का लाभ उठाने से द्विपक्षीय व्यापार और नवोन्मेष-आधारित विकास को बढ़ावा देने में मदद मिल सकती है।’’
आयोग ने यह भी कहा कि पेशेवर अवसरों का विस्तार करने के लिए, भारत को व्यापक द्विपक्षीय मान्यता समझौतों (एमआरए) पर जोर देना चाहिए जिसमें इंजीनियर, वास्तुकारों और स्वास्थ्य सेवा कर्मियों सहित विभिन्न प्रकार के पेशेवर शामिल हों।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘ये समझौते प्रमाणन प्रक्रियाओं को व्यवस्थित करेंगे और भारतीय पेशेवरों के लिए अमेरिका में आवागमन को आसान बनाएंगे।’’
आयोग ने कहा कि भारत को अपने व्यापार साझेदारों में विविधता लाने और बड़ी वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं और उत्पादन नेटवर्क का महत्वपूर्ण हिस्से बनने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
आयोग ने कहा, ‘‘मुक्त व्यापार समझौतों को तेजी से लागू करना और समयबद्ध बातचीत को लेकर रूपरेखा तैयार करना जरूरी है।’’
रिपोर्ट के अनुसार, इन समझौतों में गैर-शुल्क बाधाओं को कम करने और भारत की प्रमुख ताकत.. सेवाओं में व्यापार को सुगम बनाने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
भाषा रमण अजय
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