रांची, 14 जुलाई (भाषा) झारखंड में पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) अधिनियम यानी पेसा अधिनियम को लागू करने की मांग को लेकर विभिन्न आदिवासी संगठनों ने सोमवार को रांची में राजभवन के पास प्रदर्शन किया।
केंद्रीय सरना समिति (केएसएस) के नेतृत्व में आयोजित इस प्रदर्शन के साथ ही 11 जुलाई को गुमला में शुरू हुए चार दिवसीय मार्च का समापन हो गया।
केएसएस अध्यक्ष बबलू मुंडा ने बताया कि मार्च पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की कैबिनेट में मंत्री रहे आदिवासी नेता कार्तिक उरांव के जन्मस्थान गुमला के लिटाटोली से शुरू हुआ।
उन्होंने बताया, ‘‘यह (मार्च) रविवार रात रांची के आईटीआई मार्केट पहुंचा। सोमवार को राजभवन में प्रदर्शन के साथ मार्च का समापन हुआ।’’
मुंडा ने कहा कि वे पाहन, पैनभोरा, कोटवार, महतो, मानकी मुंडा और बैगा जैसे आदिवासी समुदायों के अधिकारों की रक्षा के लिए पेसा अधिनियम लागू करने की मांग कर रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘हेमंत सोरेन सरकार पेसा अधिनियम लागू नहीं कर रही है। वह एक खास समुदाय को फायदा पहुंचाने के लिए आदिवासियों की पारंपरिक व्यवस्थाओं को नष्ट करने में लगी हुई है।’’
अनुसूचित क्षेत्रों में आदिवासी समुदायों के अधिकारों को मान्यता देने वाला पेसा अधिनियम 1996 में क्रियान्वित किया गया था। हालांकि, यह कानून अभी तक राज्य में लागू नहीं हुआ है।
मई में पंचायती राज विभाग ने पेसा नियमों का मसौदा जारी किया था और लोगों से उनकी प्रतिक्रिया एवं सुझाव मांगे थे।
भाषा पारुल दिलीप
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