मुंबई, 15 जुलाई (भाषा) बंबई उच्च न्यायालय ने कुछ शर्तों के साथ दक्षिण मुंबई में ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ पर यात्रियों के लिए नए यात्री जेटी और टर्मिनल के निर्माण की मंगलवार को अनुमति दे दी।
मुख्य न्यायाधीश आलोक आराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने ने जेटी और टर्मिनल निर्माण के लिए महाराष्ट्र सरकार के फैसले को बरकरार रखा।
अदालत ने कहा कि परियोजना के तहत प्रस्तावित ‘एम्फीथिएटर’ का उपयोग सिर्फ यात्रियों के बैठने की जगह के रूप में किया जाएगा, मनोरंजन स्थल के रूप में नहीं।
न्यायाधीशों ने कहा कि इसी तरह प्रस्तावित रेस्तरां या कैफे का उपयोग केवल यात्रियों को पानी और पैकेटबंद भोजन उपलब्ध कराने के लिए किया जाएगा, न कि भोजन सुविधा के रूप में।
अदालत ने कहा कि महाराष्ट्र सागरी मंडल (एमएमबी) यह सुनिश्चित करेगा कि परियोजना पूरी होने के बाद भारतीय नौसेना के निर्देशानुसार चरणबद्ध तरीके से मौजूदा चार जेटी का उपयोग बंद कर दिया जाएगा।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘हमारे विचार में यह परियोजना सतत विकास के सिद्धांत को पूरा करती है, जहां प्रस्तावित विकास पर्यावरण को न्यूनतम नुकसान पहुंचाते हुए किया जा रहा है।’’
अदालत ने कहा कि सरकार का निर्णय विधिसम्मत है और किसी भी प्रकार की मनमानी, तर्कहीनता या बिना सोच-विचार के नहीं लिया गया है।
उच्च न्यायालय ने टिप्पणी की कि जब विकास सावधानीपूर्वक नियमों का पालन करते हुए किया जाए तो यह पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाता है।
कई याचिकाओं में दावा किया गया था कि मुंबई के प्रतिष्ठित स्थल ‘गेटवे ऑफ इंडिया’ के पास निर्माण कार्य से पर्यावरण को नुकसान होगा।
अदालत ने कहा कि वर्तमान में पांच जेटी संचालित हैं जो लगभग एक सदी से उपयोग में हैं। अदालत ने यह भी कहा कि उनमें से एक का उपयोग विशेष रूप से भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (बार्क) द्वारा किया जाता है।
महाराष्ट्र सागरी मंडल के अनुसार, हर साल लगभग 35 लाख यात्री इन चार जेटी का उपयोग करके यात्रा करते हैं, जो अब पर्याप्त नहीं है।
‘गेटवे ऑफ इंडिया’ से फेरी (नौका) सेवा दक्षिण मुंबई से यात्रियों को पड़ोसी रायगढ़ जिले के अलीबाग ले जाती है।
भाषा सुरभि संतोष
संतोष