चंडीगढ़, 15 जुलाई (भाषा) धर्मग्रंथों की बेअदबी के लिए आजीवन कारावास तक की सजा के प्रस्ताव वाला एक विधेयक मंगलवार को पंजाब विधानसभा की प्रवर समिति के पास भेज दिया गया ताकि वह प्रस्तावित कानून पर जनता की राय ले सके।
विधानसभा के विशेष सत्र के समापन के दिन विधानसभाध्यक्ष कुलतार सिंह संधवान ने कहा कि समिति छह महीने के भीतर विधेयक पर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
यह कदम मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा ‘पंजाब पवित्र धर्मग्रंथों के विरुद्ध अपराधों की रोकथाम विधेयक, 2025’ को विधानसभा की उस समिति को भेजने का प्रस्ताव रखने के बाद उठाया गया, जिसमें सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल हो सकते हैं, ताकि वह जनता और धार्मिक संस्थाओं की राय ले सके।
मुख्यमंत्री मान ने सोमवार को सदन में बेअदबी रोधी विधेयक पेश किया था जिसमें कहा गया था कि धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी में शामिल लोगों के लिए कड़ी सजा होनी चाहिए।
विधेयक पर चर्चा को समेटते हुए उन्होंने शिरोमणि अकादली दल (शिअद)-भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शासन के दौरान 2015 में हुई बेअदबी की घटनाओं का उल्लेख किया और कहा कि बेअदबी से बड़ा कोई अपराध नहीं हो सकता।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में राज्य-विशिष्ट प्रस्तावित कानून को मंजूरी दी गई।
मंत्रिमंडल की बैठक के बाद एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि विधेयक में श्री गुरु ग्रंथ साहिब, भगवद्गीता, बाइबिल और कुरान सहित पवित्र ग्रंथों के अनादर के लिए आजीवन कारावास तक का प्रावधान किया गया है।
विधेयक के अनुसार, बेअदबी का दोषी पाए जाने वाले किसी भी व्यक्ति को 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सज़ा हो सकती है। दोषी व्यक्ति को पांच लाख रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है, जो बढ़ाकर 10 लाख रुपये तक किया जा सकता है।
विधेयक के अनुसार, अपराध करने का प्रयास करने वाले को तीन से पांच वर्षों की सजा हो सकती है और उसे तीन लाख रुपये तक का जुर्माना भी भरना पड़ सकता है। जो व्यक्ति इस अपराध को उकसाने या मदद करते हुए पाए जाएंगे, उन्हें किए गए अपराध के अनुसार दंडित किया जाएगा।
एक बार यह विधेयक पारित हो जाने पर, इस कानून के तहत दंडनीय अपराध संज्ञेय, गैर-जमानती और गैर-समझौता योग्य होंगे और इसका मुकदमा सत्र अदालत में चलाया जाएगा। जांच एक पुलिस अधिकारी द्वारा की जाएगी जिसकी रैंक पुलिस उपाधीक्षक से कम नहीं होगी।
पंजाब में पवित्र धर्मग्रंथों का अनादर एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। 2015 में फरीदकोट में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटनाओं के बाद कड़े दंड की मांग विभिन्न पक्षों से उठी थी।
यह प्रस्तावित कानून सभी संप्रदायों और धर्मों में बेअदबी के कृत्यों को अपराध घोषित करके और उसके लिए दंड निर्धारित करके इस कानूनी खालीपन को पूरा करने का उद्देश्य रखता है।
यह पहली बार नहीं है जब बेअदबी के दोषियों के लिए कड़ी सजा का कानून लाया गया हो। 2016 में तत्कालीन शिअद-भाजपा सरकार द्वारा आईपीसी (पंजाब संशोधन) विधेयक, 2016 और सीआरपीसी (पंजाब संशोधन) विधेयक, 2016 लाया गया था, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब के खिलाफ बेअदबी के कृत्यों के लिए उम्रकैद की सजा की सिफारिश की गई थी।
केंद्र सरकार ने बाद में यह विधेयक यह कहते हुए वापस कर दिया था कि संविधान की धर्मनिरपेक्ष प्रकृति को ध्यान में रखते हुए सभी धर्मों के साथ समान व्यवहार किया जाना चाहिए।
वर्ष 2018 में अमरिंदर सिंह के नेतृत्व वाली तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने दो विधेयक पारित किए थे – भारतीय दंड संहिता (पंजाब संशोधन) विधेयक, 2018′ और ‘दंड प्रक्रिया संहिता (पंजाब संशोधन) विधेयक 2018’, जिसमें गुरु ग्रंथ साहिब, भगवद गीता, कुरान और बाइबिल को क्षति पहुंचाने या बेअदबी के लिए आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान किया गया था।
हालांकि, उन दोनों विधेयकों को राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली और उन्हें वापस भेज दिया गया था।
भाषा अमित नरेश
नरेश