27.6 C
Jaipur
Thursday, July 17, 2025

गुजरात उच्च न्यायालय ने सात याचिकाकर्ताओं पर 1.4 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया

Newsगुजरात उच्च न्यायालय ने सात याचिकाकर्ताओं पर 1.4 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया

अहमदाबाद, 15 जुलाई (भाषा) गुजरात उच्च न्यायालय ने एक बिल्डर को दी गई विकास अनुमति को रद्द करने के अनुरोध वाली जनहित याचिका दायर करने वाले सात वादियों के समूह पर सामूहिक रूप से 1.4 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। इन लोगों ने ‘निजी रंजिश’ के तहत बिल्डर को दी गई विकास अनुमति को बिना अपनी पहचान बताए रद्द करने का आग्रह किया था।

मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति डी एन रे की पीठ ने सात याचिकाकर्ताओं पर 20-20 लाख रुपये का जुर्माना लगाने के साथ याचिका को खारिज कर दिया।

सोमवार को अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किए गए आदेश में कहा गया है कि यह राशि गुजरात राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को जाएगी, जिसका इस्तेमाल अनाथ बच्चों के लाभ के लिए किया जाएगा।

पिछले सप्ताह शुक्रवार को मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने मौखिक टिप्पणी में कहा कि ऐसे भ्रष्ट वादियों के लिए कोई जगह नहीं है, जिन्होंने याचिका में अपनी पहचान का खुलासा नहीं किया है।

अदालत ने कहा, ‘ये लोग कौन हैं, कोई नहीं जानता। वे क्या व्यवसाय करते हैं, उनका पेशा क्या है, कुछ भी नहीं बताया गया… इसलिए प्रत्येक पर 20-20 लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा।’

अदालत ने कहा कि शिकायत पर विचार करने का प्रश्न तभी उठेगा जब वे अपनी पहचान का खुलासा करेंगे। पीठ ने कहा, ‘किसी जनहित याचिका में पक्षकारों की सूची का केवल विवरण ही उसे बनाए रखने के लिए पर्याप्त नहीं है।’

पीठ ने कहा, ‘हमारे नियम और जनहित याचिका का कानून भी यही कहता है कि जो कोई भी जनहित याचिकाकर्ता के रूप में अदालत में आ रहा है, उसकी यह ज़िम्मेदारी है कि वह यह दिखाए कि वह एक जनहितैषी व्यक्ति है।’

प्रतिवादी के वकील ने कहा कि याचिकाकर्ताओं पर प्रतिवादी के खिलाफ उसी संपत्ति से संबंधित जबरन वसूली के अपराध के लिए आरोप पत्र दाखिल किया गया है, और वे व्यापारिक लेन-देन के प्रतिद्वंद्वी हैं जो एक निजी भूमि पर निर्मित आवासीय-व्यावसायिक परिसर के निर्माण में अनियमितताओं को उजागर करने की कोशिश कर रहे हैं।

अदालत ने कहा कि तथ्य यह है कि विकास की अनुमति को रद्द करने और फिर जनहित याचिका में कार्रवाई करने का अनुरोध किया गया है, जो अपने आप में दर्शाता है कि यह एक जनहित याचिका नहीं है।

भाषा आशीष माधव

माधव

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles