नयी दिल्ली, 16 जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बिहार के पूर्णिया जिले में इस महीने की शुरुआत में कथित तौर पर ‘जादू टोना’ करने के संदेह में अनुसूचित जनजाति (एसटी) से जुड़े एक परिवार के पांच सदस्यों की हत्या किए जाने और उनके शवों को जलाए जाने से संबंधित खबरों पर बिहार सरकार और राज्य के पुलिस प्रमुख को बुधवार को नोटिस जारी किए।
एनएचआरसी ने राज्य सरकार को परिवार के एकमात्र जीवित सदस्य और कथित घटना के प्रत्यक्षदर्शी 16 वर्षीय लड़के की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उसे परामर्श प्रदान करने के लिए कदम उठाने के भी निर्देश दिए।
एनएचआरसी ने एक बयान में कहा कि उसने ‘मी़डिया में आई एक खबर का स्वतः संज्ञान लिया है, जिसमें कहा गया है कि छह जुलाई की रात को बिहार के पूर्णिया जिले में अनुसूचित जनजाति की तीन महिलाओं समेत एक परिवार के पांच सदस्यों की कथित तौर पर जादू-टोना करने के संदेह में हत्या कर दी गई और उनके शवों को जला दिया गया।’
आयोग ने कहा कि अगर खबर सच है, तो मानवाधिकारों के उल्लंघन को लेकर गंभीर सवाल खड़े होते हैं।
आयोग ने बिहार के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर दो सप्ताह में मामले की जांच की वर्तमान स्थिति और अपराधियों की गिरफ्तारी समेत विस्तृत जानकारी देने को कहा है।
आठ जुलाई को मीडिया में आई खबरों के अनुसार, परिवार के 16 वर्षीय एकमात्र जीवित सदस्य ने पुलिस को बताया है कि लगभग 50 लोगों की भीड़ कथित तौर पर उसके घर में घुस आई और उसकी मां पर जादू-टोना करने का आरोप लगाया।
भीड़ ने कथित तौर पर सबसे पहले उसकी मां पर बांस के डंडों से हमला किया और उसे डायन बताया। इसके बाद, भीड़ ने महिला को बचाने आए परिवार के बाकी सदस्यों पर हमला किया और लड़के के सामने ही उन सभी को मार डाला।
एनएचआरसी ने कहा कि बाद में, हमलावरों ने कथित तौर पर शवों को मृतकों के घर से लगभग 100 से 150 मीटर दूर ले जाकर आग लगा दी।
खबर के मुताबिक, ग्रामीणों को संदेह था कि पीड़ित परिवार के जादू-टोना करने से गांव में एक लड़का बीमार हो गया, जिसके बाद उसकी मौत हो गई।
भाषा जोहेब पारुल
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