नयी दिल्ली, 17 जुलाई (भाषा) कांग्रेस ने बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार पर विदेश नीति के संदर्भ में भारत के पारंपरिक रुख से पीछे हटने और राजनीतिक दलों के बीच आम सहमति नहीं बनाने का आरोप लगाया तथा यह भी कहा कि इस विषय संसद के मानसून सत्र में व्यापक चर्चा होनी चाहिए।
पार्टी के वरिष्ठ प्रवक्ता आनंद शर्मा ने दावा किया कि मौजूदा विदेश नीति में ‘बिखराव’ के कारण विश्व स्तर पर भारत का असर कम हो रहा है।
शर्मा ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘भारत की विदेश नीति में जैसा बिखराव है, उस वजह से भारत का प्रभाव विश्व में कम हो रहा है। यह सबके लिए दुख की बात है।’’
उन्होंने इस बात का उल्लेख किया, ‘‘भारत ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन का नेतृत्व किया। दुनिया के जिन देशों और महाद्वीपों में आजादी के लिए, रंगभेद के खिलाफ बड़े संघर्ष हुए, उन्होंने भारत की अगुवाई को माना, भारत की आवाज को सुना- चाहे वह अफ्रीका हो, लैटिन अमेरिका हो या एशिया के देश हों।’’
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘जब हम राष्ट्रहित को आगे रखते हैं, तो उसके पीछे एक आम सहमति देश की रहती है, लेकिन मौजूदा सरकार में ये नहीं दिखता। राष्ट्रहित में हमारी कूटनीति और विदेश नीति से जुड़े मुद्दों पर एकतरफा फैसले लेने पर रोक लगनी चाहिए।’’
शर्मा के अनुसार, इस विषय पर सरकार को विचार कर आत्मनिरीक्षण करना चाहिए, वह वास्तविकता को स्वीकार करे और जो देश के बड़े दल हैं, उनके नेताओं के साथ बैठकर भी विचार-विमर्श करें।
उन्होंने कहा, ‘‘हम यह समझते हैं कि आने वाले संसद सत्र में विदेश नीति और देश की समस्याओं, चुनौतियां पर व्यापक चर्चा हो।’’
उन्होंने गाजा में ‘‘नरसंहार’’ मानवीय संकट और इजराइली सैन्य कार्रवाई का उल्लेख करते हुए सवाल किया कि भारत इजराइल से क्यों नहीं कह सकता कि यह सब बंद किया जाए?
उन्होंने कहा, ‘‘यह दुखद और अस्वीकार्य है कि भारत ने संयुक्त राष्ट्र में गाजा संबंधी मध्यस्थता प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया। इससे ‘ग्लोबल साउथ’ के अगुवा और आवाज के तौर पर भारत की विश्वसनीयता को झटका लगा है।’’
शर्मा ने कहा कि मानवाधिकार और मानवता को लेकर भारत के ऐतिहासिक सैद्धांतिक रुख से अब भारत का पीछे हटना दुखद है।
उन्होंने कहा कि भारत के वर्तमान रुख से ‘‘मित्र राष्ट्रों’’ को दुख पहुंचा है।
भाषा हक
हक माधव
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