राजकोट, 17 जुलाई (भाषा) गुजरात के राजकोट शहर में मई 2024 में हुए टीआरपी गेम ज़ोन अग्निकांड के सिलसिले में यहां की एक अदालत ने बृहस्पतिवार को 15 लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए, जिनमें गैर-इरादतन हत्या से संबंधित धारायें भी शामिल हैं। इस अग्निकांड में 27 लोगों की मौत हो गयी थी।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश डीएस सिंह की अदालत ने गुजरात के शहर में हुई इस त्रासदी के लगभग 14 महीने बाद गेम ज़ोन के सह-मालिकों समेत 15 आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए और उन सभी ने स्वयं को निर्दोष बताया है।
आरोपियों के स्वयं को निर्दोष बताने की दलील का मतलब है कि मामले की सुनवाई होगी। अदालत ने मामले में अगली सुनवाई 31 जुलाई को निर्धारित की है।
सत्र न्यायालय द्वारा सात जुलाई को राजकोट नगर निगम (आरएमसी) के तत्कालीन अधिकारियों समेत सात आरोपियों की ओर से दायर आरोपमुक्ति याचिकाओं को खारिज किये जाने के 10 दिन बाद आरोप तये किये गये हैं।
गुजरात के राजकोट शहर के टीआरपी गेम ज़ोन में पिछले साल 25 मई को भयंकर आग लग गयी थी, जिसमें बच्चों समेत कुल 27 लोगों की झुलस कर मौत हो गयी।
आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत आरोप तय किए गए हैं, जिनमें गैर-इरादतन हत्या (धारा-304), गैर-इरादतन हत्या का प्रयास (धारा-308), और दूसरों के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कृत्य से चोट पहुंचाना (धारा-337) शामिल हैं।
उनके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा-338 (किसी व्यक्ति के जीवन या व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरे में डालने वाला कृत्य करके उसे गंभीर चोट पहुँचाना) और धारा-114 (अपराध के समय मौजूद कोई व्यक्ति) के तहत भी आरोप लगाए गए हैं।
गिरफ्तार आरएमसी कर्मचारियों के खिलाफ जालसाजी, साक्ष्य नष्ट करने, आपराधिक षड्यंत्र आदि से संबंधित आईपीसी की धाराएं 465, 466, 471, 474, 120 (बी), 201, 114 भी लगाई गईं हैं।
इस मामले में कुल 16 लोगों को आरोपी बनाया गया था, जिनमें से एक बाद में उसी आग में मृत पाया गया था।
बाद में पुलिस ने सभी 15 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया, जिनमें से पांच अब ज़मानत पर बाहर हैं, जबकि अन्य राजकोट केंद्रीय कारा में बंद हैं।
पुलिस ने घटना के लगभग दो महीने बाद आरोपियों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया और 365 गवाहों के बयान दर्ज किए।
भाषा रंजन सुरेश
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