नयी दिल्ली, दो जून (भाषा) सरकार ने भारत में इलेक्ट्रिक यात्री वाहनों के विनिर्माण को बढ़ावा देने की योजना के तहत सोमवार को दिशानिर्देश जारी कर दिए। इसमें स्थानीय विनिर्माण संयंत्र लगाने पर 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करने वाली कंपनियों को महज 15 प्रतिशत आयात शुल्क पर सालाना 8,000 इलेक्ट्रिक वाहन के आयात की अनुमति दी गई है।
इस योजना को पिछले साल 15 मार्च को अधिसूचित किया गया था, लेकिन भारी उद्योग मंत्रालय ने इसके संबंध में विस्तृत दिशानिर्देश सोमवार को जारी किए। इससे इलेक्ट्रिक कार विनिर्माताओं के लिए आवेदन खिड़की खुलने पर आवेदन करने का रास्ता साफ हो गया।
एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, योजना के तहत स्वीकृत आवेदकों को आवेदन मंजूर होने की तारीख से पांच साल के लिए 15 प्रतिशत के कम सीमा शुल्क पर न्यूनतम 35,000 अमेरिकी डॉलर मूल्य वाले पूरी तरह तैयार (सीबीयू) इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहन के आयात की अनुमति दी जाएगी।
मौजूदा समय में विदेश से पूरी तरह तैयार होकर आयात की जाने वाली इलेक्ट्रिक गाड़ियों पर 70 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत तक सीमा शुल्क लगता है।
हालांकि, आयात शुल्क में राहत पाने के लिए स्वीकृत आवेदकों को योजना के प्रावधानों के अनुरूप भारत में ईवी विनिर्माण पर न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश करना होगा।
प्रति आवेदक को शुल्क के रूप में अधिकतम 6,484 करोड़ रुपये की छूट देने या फिर योजना के तहत किए गए उसके निवेश तक सीमित किया गया है।
अधिकारियों ने कहा कि योजना के लिए आवेदन की खिड़की दो सप्ताह में खुल सकती है। यह कम-से-कम 120 दिन तक खुली रहेगी।
भारी उद्योग मंत्रालय ने कहा कि तीन साल की अवधि में आवेदक को भारत में न्यूनतम 4,150 करोड़ रुपये (लगभग 50 करोड़ डॉलर) की निवेश प्रतिबद्धता जतानी होगी।
आवेदक को आवेदन मंजूर होने की तारीख से तीन साल के भीतर इलेक्ट्रिक यात्री वाहन के लिए विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के साथ परिचालन शुरू करना होगा।
नए संयंत्र, मशीनरी, उपकरण और संबद्ध सुविधाएं, इंजीनियरिंग शोध एवं विकास पर किया गया खर्च भी इस योजना के तहत निवेश से जुड़े लाभ के लिए पात्र होगा। हालांकि, संयंत्र के लिए भूमि पर किया गया व्यय इसका हिस्सा नहीं होगा लेकिन मुख्य संयंत्र की नई इमारतों को निवेश का हिस्सा माना जाएगा, बशर्ते यह प्रतिबद्ध निवेश के 10 प्रतिशत से अधिक न हो।
वहीं चार्जिंग ढांचा तैयार करने पर किए गए खर्च को प्रतिबद्ध निवेश के पांच प्रतिशत तक माना जाएगा।
योजना के तहत आवेदकों को अनुमोदन पत्र जारी करने की तारीख से तीन साल के भीतर 25 प्रतिशत का न्यूनतम घरेलू मूल्य संवर्धन (डीवीए) और 50 प्रतिशत का न्यूनतम डीवीए पांच साल के भीतर हासिल किया जाना चाहिए।
आवेदन आमंत्रित करने वाली सूचना के जरिये आवेदन प्राप्त करने की अवधि न्यूनतम 120 दिन की होगी। इसके अलावा, भारी उद्योग मंत्रालय को 15 मार्च, 2026 तक जरूरत के हिसाब से आवेदन खिड़की खोलने का अधिकार होगा।
आवेदन पत्र दाखिल करते समय आवेदक को पांच लाख रुपये का आवेदन शुल्क भी जमा करना होगा।
इस योजना के तहत पात्र होने और लाभ पाने के लिए आवेदक के पास वाहन विनिर्माण से न्यूनतम 10,000 करोड़ रुपये का वैश्विक समूह राजस्व होना जरूरी है।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
अजय