(फाइल फोटो के साथ)
श्रीनगर, 18 जुलाई (भाषा) हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने दावा किया कि उन्हें लगातार दूसरे शुक्रवार को नजरबंद रखा गया है।
मीरवाइज ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘लगातार दूसरे शुक्रवार को भी मुझे घर में नजरबंद रखा गया है। मेरे घर की ओर जाने वाली हर गली और सड़क पर बैरिकेड लगा दिये गये जिससे पड़ोसियों को भी असुविधा हो रही है।’’
हुर्रियत नेता को 1931 के ‘शहीदों’ की याद में 13 जुलाई को आयोजित होने वाले समारोह से दो दिन पहले 11 जुलाई को नजरबंद कर दिया गया था।
उन्होंने कहा,‘‘मैं शासकों को स्पष्ट कर दूं कि हमारे शहीदों की स्मृति को उनके द्वारा नियंत्रित नहीं किया जा सकता। यह हमारे दिलों में बसती है। लॉकडाउन लगा करके और लोगों को शहीदों के कब्रिस्तानों में जाने से रोककर या मुझे शुक्रवार को जामा मस्जिद जाने से रोककर तथा तुष्टीकरण के विमर्शों या शर्मनाक सांप्रदायिक विकृतियों से तथ्यों और इतिहास को नहीं मिटाया जा सकता, अगर यह लोगों की सामूहिक स्मृति में बसती है, जो कि यह है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘13 जुलाई 1931 के शहीद कश्मीर में राजनीतिक आंदोलन के अग्रदूत थे, यह उत्पीड़न के विरुद्ध जनता का न्यायोचित संघर्ष था। वे हमारी प्रेरणा हैं और रहेंगे।’
वर्ष 1931 में श्रीनगर केंद्रीय कारागार के बाहर डोगरा सेना द्वारा मारे गए 22 लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए जम्मू कश्मीर में 13 जुलाई को ‘शहीद दिवस’ मनाया जाता है। उपराज्यपाल प्रशासन ने 2020 में इस दिन को राजपत्रित छुट्टियों की सूची से हटा दिया था।
भाषा
शुभम राजकुमार
राजकुमार