27 C
Jaipur
Friday, July 18, 2025

मानसिक स्वास्थ्य देखभाल पर कानून के लिए जनहित याचिका में एनएचआरसी को पक्षकार बनाने का निर्देश

Newsमानसिक स्वास्थ्य देखभाल पर कानून के लिए जनहित याचिका में एनएचआरसी को पक्षकार बनाने का निर्देश

नयी दिल्ली, 18 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मानसिक रोगों से ग्रस्त व्यक्तियों के अधिकारों और जरूरतों की सुरक्षा से संबंधित 2017 के एक कानून के क्रियान्वयन के लिए दायर जनहित याचिका में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पक्षकार बनाने का निर्देश दिया।

न्यायमूर्ति पी.एस. नरसिम्हा और न्यायमूर्ति अतुल एस. चंदुरकर की पीठ ने याचिकाकर्ता गौरव कुमार बंसल से कहा कि वह 2018 में दायर जनहित याचिका में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को पक्षकार बनाने के लिए एक आवेदन दायर करें।

पीठ ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 के क्रियान्वयन हेतु जनहित याचिका को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को हस्तांतरित किया जा सकता है।

बंसल ने कहा कि क्रियान्वयन की निगरानी के लिए शीर्ष न्यायालय के एक पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक समिति गठित की जा सकती है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम सिर्फ इसलिए एक समानांतर व्यवस्था नहीं बना सकते क्योंकि मौजूदा व्यवस्था में कोई खामी है।’’

इस बीच, पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रही अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से बंसल के साथ अपना हलफनामा साझा करने को कहा और सुनवाई तीन हफ्ते बाद करना तय किया।

पीठ ने पहले कहा था कि संसद ने 2017 में मानसिक स्वास्थ्य सेवा अधिनियम पारित किया था, जिसमें केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण (सीएमएचए), राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण (एसएमएचए) और मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड (एमएचआरबी) की स्थापना का प्रावधान है।

शीर्ष अदालत ने दो मार्च को केंद्र को केंद्रीय मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण, राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण और मानसिक स्वास्थ्य समीक्षा बोर्ड की स्थापना और कार्यप्रणाली का संकेत देते हुए एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था।

हलफनामे में प्राधिकरण और समीक्षा बोर्ड में वैधानिक और अनिवार्य नियुक्तियों को दर्शाने का भी आदेश दिया गया था।

भाषा वैभव पवनेश

पवनेश

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles