भुवनेश्वर, 18 जुलाई (भाषा) ओडिशा के कटक स्थित रेवेनशॉ विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने चौतरफा आलोचना के बाद महिला संकाय सदस्यों और छात्राओं को शाम साढ़े पांच बजे के बाद परिसर में रुकने की अनुमति न देने के अपने पूर्व आदेश को वापस ले लिया।
प्रशासन ने बृहस्पतिवार को जारी विश्वविद्यालय रजिस्ट्रार द्वारा हस्ताक्षरित एक आदेश में कहा था, “किसी भी महिला संकाय, कर्मचारी या छात्रा को शाम साढ़े पांच बजे के बाद कार्यस्थल या परिसर में रुकने की अनुमति नहीं है। यह निर्णय औपचारिक मानक संचालन प्रक्रिया जारी होने तक प्रभावी रहेगा।”
निर्देश के मुताबिक, अत्यावश्यक कार्य होने पर महिलाओं को विभागाध्यक्ष से अनुमति लेनी होगी और निर्धारित समय से अधिक समय तक रुकने की इच्छा व्यक्त करते हुए एक लिखित अनुरोध देना होगा।
यह आदेश स्पष्ट रूप से बालासोर के फकीर मोहन (स्वायत्त) महाविद्यालय परिसर में 12 जुलाई को कथित यौन उत्पीड़न के बाद एक छात्रा द्वारा आत्मदाह करने की घटना के मद्देनजर जारी किया गया था। छात्रा की उपचार के दौरान मौत हो गयी थी।
हालांकि विद्यार्थियों, नागरिक समाज और राजनेताओं की तीखी प्रतिक्रिया के बाद रेवेनशॉ विश्वविद्यालय ने कुछ ही घंटों में आदेश को वापस ले लिया।
संशोधित बयान में बताया गया, “महिला शिक्षकों, कर्मचारियों और छात्राओं के कार्यस्थल या परिसर में शाम साढ़े पांच बजे के बाद रुकने पर प्रतिबंध लगाने वाला कार्यालय आदेश वापस लिया जाता है।”
बीजू जनता दल (बीजद) के प्रवक्ता और पूर्व छात्र लेनिन मोहंती ने ‘एक्स’ पर कहा, “रेवेनशॉ के अधिकारियों ने अपने राजनीतिक आकाओं के इशारे पर काम करते हुए एक आदेश जारी किया, जिसमें छात्राओं को शाम साढ़े पांच बजे के बाद परिसर में नहीं रुकने को कहा गया। इस शर्मनाक निर्देश पर कड़ी प्रतिक्रिया का सामना करने के बाद प्रशासन को इसे रद्द करने के लिए मजबूर होना पड़ा। क्या अधिकारी इस तरह के घृणित आदेश जारी करके हमारी बहनों की रक्षा करना चाहते हैं? क्या ओडिशा महिलाओं और बच्चियों के लिए असुरक्षित होता जा रहा है?”
भाषा जितेंद्र मनीषा
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