नयी दिल्ली, 18 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने फरवरी 2020 के दंगों के दौरान हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या से जुड़े मामले में एक आरोपी को बरी करने के अनुरोध वाली याचिका पर दिल्ली पुलिस से जवाब तलब किया है।
न्यायमूर्ति शलिंदर कौर ने आरोपी मोहम्मद खालिद की याचिका पर पुलिस को नोटिस जारी करते हुये उसे जवाब दाखिल करने के लिए समय दिया।
अदालत ने 14 जुलाई को पारित आदेश में कहा, ‘राज्य के विशेष सरकारी वकील नोटिस स्वीकार करते हैं और जवाब दाखिल करने के लिए समय मांगते हैं। वह मामले के विचारणीय होने के मुद्दे पर बहस करने का अधिकार भी सुरक्षित रखते हैं।’
अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 14 अक्टूबर की तारीख तय की।
खालिद ने मामले में अपने और 24 अन्य आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने के निचली अदालत के 22 नवंबर 2024 के आदेश को चुनौती दी है।
निचली अदालत ने मामले में आरोपियों के खिलाफ हत्या, आगजनी और डकैती समेत कई आरोप तय करने का आदेश दिया था।
आदेश को चुनौती देने वाली अपनी याचिका में खालिद ने आरोप लगाया है कि निचली अदालत ने आरोप तय करने में गलती की है और उसने आरोप तय करने के न्यायशास्त्र के संबंध में संबंधित तथ्यों की स्पष्ट रूप से अनदेखी की है।
याचिका में दावा किया गया है, ‘याचिकाकर्ता के खिलाफ प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनता है और न ही उसके खिलाफ कोई ठोस सबूत है। आरोपपत्र में ऐसी कोई सामग्री नहीं है, जो याचिकाकर्ता पर गंभीर संदेह पैदा करती हो या उसके और कथित अपराध के बीच कोई सीधा संबंध स्थापित करती हो।’
आपराधिक मामले में 27 लोगों पर दंगाई भीड़ का हिस्सा होने का आरोप लगाया गया था, जिन्होंने 24 फरवरी 2020 को चांद बाग विरोध स्थल पर पुलिस टीम पर तब हमला किया, जब अधिकारियों ने उन्हें मुख्य वजीराबाद रोड को अवरुद्ध करने से रोकने की कोशिश की थी।
लाल को उस समय हल्का बुखार था और उनके सहकर्मियों ने उन्हें आराम करने की सलाह दी थी। हालांकि, दयालपुर पुलिस थाना क्षेत्र में गंभीर तनाव को देखते हुए उन्होंने ड्यूटी ज्वाइन कर ली।
अभियोजन पक्ष ने कहा कि जब स्थिति बिगड़ने लगी, तो उन्होंने तत्कालीन डीसीपी शाहदरा और एसीपी गोकलपुरी की भीड़ को शांत करने और उसे नियंत्रित करने में मदद की।
जब दंगाई भीड़ ने अधिकारियों पर हमला शुरू किया, तो उन्हें बचाते हुए लाल को 24 चोटें आईं, जिससे उनकी मौत हो गई।
भाषा पारुल रंजन
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