नयी दिल्ली, 18 जुलाई (भाषा) केंद्रीय मंत्री पेम्मासानी चंद्रशेखर ने निवेशकों से आंध्र प्रदेश की नीतियों का लाभ उठाने का अनुरोध करते हुए कहा है कि राज्य ने वर्ष 2030 तक हरित हाइड्रोजन क्षमता को 10 लाख टन तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है जिसके लिए भारी निवेश की जरूरत होगी।
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 19,744 करोड़ रुपये के व्यय के साथ राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन को चार जनवरी, 2023 को मंजूरी दी थी। इसका मकसद 2030 तक देश में प्रति वर्ष 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करना है।
संचार एवं ग्रामीण विकास राज्य मंत्री पेम्मासनी चंद्रशेखर ने आंध्र प्रदेश के अमरावती में एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘आंध्र प्रदेश 2030 तक प्रति वर्ष 10 लाख टन हरित हाइड्रोजन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य के साथ भारत के हरित हाइड्रोजन परिवेश के आवश्यक स्तंभ के रूप खुद को खड़ा कर रहा है।’’
उन्होंने कहा कि एनटीपीसी की इकाई एनटीपीसी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड (एनजीईएल) विशाखापत्तनम के पुदिमदका में एक हरित हाइड्रोजन संकुल विकसित करने पर विचार कर रही है।
यह भारत का सबसे बड़ा हरित हाइड्रोजन संकुल होगा जो प्रतिदिन 1,500 टन हरित हाइड्रोजन और 7,500 टन उप-उत्पादों (हरित अमोनिया, मेथनॉल, टिकाऊ विमानन ईंधन) का उत्पादन करने में सक्षम होगा।
उन्होंने कहा कि इससे राज्य में 1.85 लाख करोड़ रुपये का निवेश आएगा।
हीरो फ्यूचर एनर्जीज भी तिरुपति में हरित हाइड्रोजन संयंत्र स्थापित करने को इच्छुक है।
चंद्रशेखर ने कहा कि राज्य की सक्रिय नीतियां जैसे कर छूट, सब्सिडी और एकीकृत स्वच्छ ऊर्जा (आईसीई) नीति 2024 का मसौदा इन बाधाओं को दूर करने और हरित हाइड्रोजन को अपनाने में तेजी लाने के लिए तैयार की गई हैं।
भाषा निहारिका प्रेम
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