नयी दिल्ली, 18 जुलाई (भाषा) रुड़की स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-रुड़की) ने ऐतिहासिक मोदी लिपि वाली सामग्री को देवनागरी लिपि में बदलने के लिए दुनिया का पहला ‘एआई फ्रेमवर्क’ विकसित किया है। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।
‘विजन-लैंग्वेज मॉडल’ (वीएलएम) संरचना का लाभ उठाते हुए ‘एमओएससीनेट’ (मोस्कनेट) मॉडल मध्यकालीन पांडुलिपियों के संरक्षण और डिजिटल इंडिया तथा भाषिणी जैसी पहल के तहत बड़े पैमाने पर डिजिटलीकरण का समर्थन करने के लिए एक प्रभावशाली तकनीक प्रदान करता है।
‘‘ऐतिहासिक लिपियों से आधुनिक दृष्टि तक’’ नामक परियोजना के तहत ‘एमओडीईट्रांस’ (मोडेट्रांस) को पेश किया गया है जो अपनी तरह का पहला डेटासेट है। इस डेटा सेट में तीन ऐतिहासिक युगों (शिवकालीन, पेशवेकालीन और अंगलाकालीन) की वास्तविक मोदी लिपि की पांडुलिपियों की 2,000 से अधिक छवियों के साथ-साथ देवनागरी लिपि में किया गया रूपांतरण शामिल है जिसे विशेषज्ञों ने सत्यापित किया है।
आईआईटी रुड़की के स्पर्श मित्तल के नेतृत्व में एआई मॉडल मोस्कनेट मौजूदा ओसीआर मॉडलों से काफी बेहतर प्रदर्शन करता है और कम संसाधन वाले वातावरण में कुशल, कारगर और किफायती समाधान प्रदान करता है।
भाषा संतोष अविनाश
अविनाश