(संजॉय कुमार डे)
रांची, 20 जुलाई (भाषा) झारखंड के पलामू बाघ अभयारण्य (पीटीआर) में 400 साल से अधिक पुराने दो किलों का जीर्णोद्धार और संरक्षण कार्य जल्द ही शुरू होगा। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी।
एक अधिकारी ने बताया कि पलामू के आदिवासी चेरो राजाओं द्वारा निर्मित इन दोनों किलों के जीर्णोद्धार के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) पहले ही तैयार की जा चुकी है।
उन्होंने कहा कि भवन निर्माण विभाग द्वारा डीपीआर की मंजूरी के बाद इसे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अंतर्गत कार्य करने वाली एजेंसियों को समीक्षा के लिए भेजा जाएगा ताकि किलों के जीर्णोद्धार और संरक्षण के लिए निविदाएं आमंत्रित करने की प्रक्रिया शुरू की जा सके।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, राज्य के पर्यटन मंत्री सुदिव्य कुमार की अध्यक्षता में हाल ही में हुई एक उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्णय लिया गया कि निविदा प्रक्रिया शुरू की जाए और पुरातात्विक स्थलों के विकास में पूर्व अनुभव रखने वाली एजेंसियों को कार्य सौंपा जाए। इस बैठक में वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर और वन एवं पर्यटन विभागों के सचिव शामिल हुए।
विज्ञप्ति के मुताबिक जीर्णोद्धार कार्य पर 40 से 50 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है।
राज्य सरकार के एक सेवानिवृत्त अधिकारी ने बताया कि 2005 में राज्य सरकार ने दोनों किलों के जीर्णोद्धार कार्य को मंजूरी दी थी, लेकिन वन मंजूरी सहित कई बाधाओं के कारण यह कार्य शुरू नहीं हो सका क्योंकि ये स्थल लातेहार जिले में पीटीआर के अधिकार क्षेत्र में आते हैं।
पीटीआर के उप निदेशक प्रजेश जेना ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘सभी बाधाएं दूर कर दी गई हैं और सभी हितधारकों ने जीर्णोद्धार परियोजना को अपनी मंजूरी दे दी है। निविदा प्रक्रिया पूरी होते ही जीर्णोद्धार कार्य शुरू हो जाएगा।’’
औरंगा नदी के तट पर घने जंगलों में स्थित तथा मेदिनीनगर से लगभग 30 किमी दूर, दो किले पुराने किले और नया किला मुगल काल के आरंभ में चेरो वंश के राजाओं ने बनवाया था।
ऐसा माना जाता है कि चेरो राजा अनंत राय ने मैदानी इलाके में पुराना किला बनवाया था, जिसके तीन तरफ सुरक्षा घेरा और तीन द्वार थे, जबकि निकटवर्ती पहाड़ी पर नया किला अनंत के उत्तराधिकारी राजा मेदिनी राय ने बनवाया था।
हालांकि, कुछ इतिहासकारों का मानना है कि पुराने किले का निर्माण रक्सेल राजवंश द्वारा किया गया था और बाद में चेरों राजाओं ने इनका जीर्णोद्धार कराया था।
उन्होंने बताया कि चेरो ने कई वर्षों तक मुगलों से किलों की रक्षा की, लेकिन अंततः दोनों किलों पर दाउद खान का कब्जा हो गया।
झारखंड पर्यटन वेबसाइट के अनुसार, इसकी वास्तुकला इस्लामी शैली में है, जो दाउद खान की विजय को दर्शाती है।
राज्य पुरातत्व विभाग के पूर्व उप निदेशक एच.पी. सिन्हा ने कहा कि 2007-08 में जीर्णोद्धार कार्य शुरू किया गया था, लेकिन माओवादियों का दबाव और वन विभाग की अनुमति के अभाव के कारण यह आगे नहीं बढ़ सका।
भाषा धीरज शोभना
शोभना