वाराणसी (उप्र), 20 जुलाई (भाषा) केंद्रीय युवा मामले एवं खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने रविवार को कहा कि आध्यात्मिक संस्थाओं को ‘विकसित भारत के लिए नशा मुक्त युवा’ बनाने में अग्रणी भूमिका निभाते हुए नशा मुक्ति अभियान का आधार बनना चाहिए।
मांडविया वाराणसी में ‘विकासशील भारत के लिए नशा मुक्त युवा’ विषय पर आयोजित युवा आध्यात्मिक शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में ‘काशी घोषणापत्र’ को औपचारिक रूप से अंगीकार किया गया।
यहां जारी एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, युवा मामले एवं खेल मंत्रालय द्वारा आयोजित इस सम्मेलन में 600 से अधिक युवा नेता, 120 से अधिक आध्यात्मिक और सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों के प्रतिनिधियों, शिक्षाविदों और क्षेत्र विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया।
केंद्रीय मंत्री मांडविया ने इस अवसर पर कहा, ‘भारत की आध्यात्मिक शक्ति ने हमेशा संकट के समय में भारत का मार्गदर्शन किया है। इसलिए आध्यात्मिक संस्थाओं को अब विकसित भारत के लिए नशा मुक्त युवा बनाने में अग्रणी भूमिका निभानी चाहिए। वे इस महाअभियान का आधार बनेंगे।’
उन्होंने कहा, ‘हमने पिछले तीन दिनों में विविध विषयगत सत्रों में गहन चिंतन किया है। इस सामूहिक चर्चा के आधार पर काशी घोषणापत्र का जन्म हुआ है, जो न केवल एक दस्तावेज़ के रूप में, बल्कि भारत की युवा शक्ति के लिए एक साझा संकल्प के रूप में भी है।’
बयान के मुताबिक, औपचारिक रूप से स्वीकृत काशी घोषणापत्र इस बात की पुष्टि करता है कि मादक द्रव्यों का सेवन एक बहुआयामी जन स्वास्थ्य और सामाजिक चुनौती है, जिसे लेकर राष्ट्रीय स्तर पर सहमति बन चुकी है। साथ ही समग्र सरकार और समग्र समाज दृष्टिकोण का आह्वान करता है। यह व्यसन निवारण, पुनर्वास में सहायता और राष्ट्रीय स्तर पर संयम की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए आध्यात्मिक, सांस्कृतिक, शैक्षिक और तकनीकी प्रयासों के एकजुटता पर ज़ोर देता है।
हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला ने इस आयोजन स्थल की सांस्कृतिक पवित्रता पर प्रकाश डालते हुए कहा, ‘काशी की यह पावन भूमि सनातन चेतना का उद्गम स्थल है, जहां अनुशासन और मूल्य जीवन को मोक्ष की ओर ले जाते हैं। हम केवल एकत्रित नहीं हो रहे हैं; हम ऐसे बीज बो रहे हैं जो एक दिन राष्ट्रीय परिवर्तन के एक सशक्त वृक्ष के रूप में विकसित होंगे।’
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, ”अगर एक ऐसा राष्ट्र जहां 65 प्रतिशत युवा आबादी मादक पदार्थों का शिकार हो जाती है, उसमें जो नौजवान इससे मुक्त होंगे केवल वे ही भविष्य का निर्माण कर पाएंगे।”
काशी घोषणापत्र एक मार्गदर्शक चार्टर के रूप में काम करेगा और इसकी प्रगति की समीक्षा विकासशील भारत युवा नेता संवाद 2026 के दौरान की जाएगी, जिससे निरंतरता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
भाषा सलीम नोमान
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