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Tuesday, July 22, 2025

दल हित में मत भले ही न मिलें, लेकिन देश हित में मन जरूर मिलें : प्रधानमंत्री मोदी

Newsदल हित में मत भले ही न मिलें, लेकिन देश हित में मन जरूर मिलें : प्रधानमंत्री मोदी

नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद के मानसून सत्र में विभिन्न मुद्दों पर सार्थक चर्चा का आह्वान करते हुए सोमवार को कहा कि सभी दलों का अलग-अलग एजेंडा है और दल हित में उनके मत भले ही न मिलें, लेकिन देश हित में मन जरूर मिलने चाहिए।

प्रधानमंत्री ने सत्र की शुरूआत से पहले संवाददाताओं को संबोधित करते हुए मानसून सत्र को ‘विजयोत्सव’ बताया। उन्होंने कहा कि पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद ऑपरेशन सिंदूर के रूप में पूरी दुनिया ने भारत की सैन्य शक्ति देखी और आतंकवाद के आका बेनकाब हुए।

उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में सेना ने 100 फीसदी लक्ष्य हासिल किए और करीब 22 मिनट में ही आतंकवादियों के ठिकानों को जमींदोज कर दिया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘ऑपरेशन सिंदूर के बाद हमारे सांसदों ने पूरी दुनिया में जा कर ‘आतंकवाद के आका’ पाकिस्तान को बेनकाब किया। विश्व ने भारत की बात को स्वीकार करने की दिशा में अपने मन के द्वार खोले और इसके लिए हमारे राजनीतिक दल एवं सांसद सराहना के पात्र हैं।’’

मोदी ने आह्वान किया कि सेना के सामर्थ्य की सराहना की जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर तिरंगा लहरा चुका है और प्रगति की राह में आगे बढ़ रहे देश में विज्ञान के प्रति उमंग एवं उत्साह है।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘नक्सलवाद का दायरा आज सिकुड़ रहा है और कल तक तो ‘‘रेड कॉरिडोर’’ थे, वे आज ‘‘ग्रीन, ग्रोथ जोन’’ में परिवर्तित हो रहे हैं।’’

उन्होंने कहा ‘‘भारत आज दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है। कभी देश में महंगाई दर दोहरे अंकों में थी लेकिन आज यह दो फीसद के आसपास आ चुकी है और आम आदमी को राहत मिली है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश की विकास यात्रा एवं प्रगति को बल देने वाले तथा नागरिकों के हितों से जुड़े अनेक विधेयक प्रस्तावित हैं और इस सत्र में उन्हें चर्चा कर पारित किया जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘सभी दलों का अलग-अलग एजेंडा है लेकिन दल हित में मत भले ही न मिलें, लेकिन देश हित में मन जरूर मिलें।’’

मोदी ने कहा ‘‘देश ने एकता की ताकत देखी है और यह देखा है कि एक स्वर का सामर्थ्य क्या होता है। संसद में भी यही बात नजर आनी चाहिए।’’

भाषा मनीषा हक

सिम्मी

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