नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ दायर आपराधिक अवमानना की याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को आगाह किया कि न्यायिक कार्यवाही का राजनीतिकरण न किया जाए।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में न्यायालय के फैसले पर बनर्जी की टिप्पणी को लेकर उनके खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा, ‘‘कृपया अपनी राजनीतिक लड़ाई इस अदालत के बाहर लड़ें।’’
पीठ ने आत्मदीप नामक एक सार्वजनिक धर्मार्थ न्यास द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। याचिका में आरोप लगाया गया है कि मुख्यमंत्री ने न्यायालय के फैसले के बाद आपत्तिजनक बयान दिए जो न्यायपालिका के प्राधिकार को कमजोर करते हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने पीठ से सुनवाई स्थगित करने का आग्रह करते हुए कहा कि आपराधिक अवमानना कार्यवाही शुरू करने के लिए अटॉर्नी जनरल को उनकी सहमति के लिए एक अनुरोध भेजा गया था।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘क्या आपको इतना यकीन है कि आपको सहमति मिल जाएगी? अदालत के सामने राजनीतिकरण करने की कोशिश न करें, आपको अपनी राजनीतिक लड़ाई कहीं और लड़नी चाहिए।’’
पीठ ने मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।
यह याचिका इस साल अप्रैल में दिए गए उस फैसले से संबंधित है, जिसमें उच्चतम न्यायालय ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस आदेश को बरकरार रखा था जिसमें 2016 में पश्चिम बंगाल स्कूल सेवा आयोग द्वारा की गईं लगभग 25,000 नियुक्तियों को अमान्य करार दिया गया था।
मुख्यमंत्री ने इस फैसले पर कथित तौर पर कुछ आलोचनात्मक टिप्पणियां कीं थीं।
भाषा सिम्मी मनीषा
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