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Tuesday, July 22, 2025

नए अध्ययन में गोआना की त्वचा के नीचे ऊतकों के बीच अस्थि प्लेट का पता चला

Newsनए अध्ययन में गोआना की त्वचा के नीचे ऊतकों के बीच अस्थि प्लेट का पता चला

(रॉय एबेल, म्यूजियम विक्टोरिया रिसर्च इंस्टिट्यूट)

मेलबर्न, 21 जुलाई (द कन्वरसेशन) मॉनिटर लिजर्ड, जिन्हें ऑस्ट्रेलिया में गोआना भी कहा जाता है, इस महाद्वीप के सबसे अनोखी सरीसृपों में से एक हैं। इनका वंश न केवल उस सामूहिक विलुप्ति से बच गया जिसने डायनासोर को समाप्त किया, बल्कि उससे पृथ्वी पर सबसे बड़ी जीवित छिपकली आईं।

आज, ये भयानक जीव जंगलों और झाड़ियों के बीच से गुजरते हुए अपनी जीभ हिलाते हैं।

लिनियन सोसाइटी की जूलॉजिकल जर्नल में प्रकाशित एक नए अध्ययन में उनकी त्वचा के नीचे की जांच की गई है। पहली बार, यह छिपी हुई अस्थि संरचनाओं को उजागर करता है जो ऑस्ट्रेलिया में गोआना की विकासवादी सफलता की कुंजी हो सकती हैं।

त्वचा जीवित रहने के लिए एक आवश्यक अंग है। कुछ जानवरों में, इसमें त्वचा के ऊतकों के बीच धंसी हुई अस्थि प्लेट की एक परत होती है। मगरमच्छों या आर्मडिलो में कवच जैसी प्लेट के बारे में सोचें: ये ऑस्टियोडर्म हैं।

इनका आकार सूक्ष्म से लेकर विशाल तक होता है, जिसमें स्टेगोसॉरस की पीठ की प्लेट सबसे प्रभावशाली उदाहरण हैं।

हम अभी इन रहस्यमयी संरचनाओं को समझना शुरू ही कर पाए हैं। ऑस्टियोडर्म, यानी त्वचा के नीचे स्थित हड्डी जैसी प्लेट, उन प्राणियों की वंशावलियों में पाई जाती हैं जो लगभग 38 करोड़ वर्ष पहले एक-दूसरे से विभाजित हो गई थीं। इसका मतलब यह है कि ये हड्डीनुमा प्लेट स्वतंत्र रूप से विकसित हुई होंगी- ठीक वैसे ही जैसे सक्रिय उड़ना पक्षियों, प्टेरोसॉर और चमगादड़ों में अलग-अलग रूप में विकसित हुआ था।

लेकिन इनका उद्देश्य क्या है?

जहां उड़ने का लाभ स्पष्ट और निर्विवाद है, वहीं ऑस्टियोडर्म के मामले में तस्वीर इतनी साफ नहीं है।

इन हड्डीनुमा प्लेट का सबसे स्पष्ट संभावित उपयोग रक्षा हो सकता है – यानी जानवर को चोटों या शिकारी के हमलों से बचाना। लेकिन शोध से पता चलता है कि ऑस्टियोडर्म का कार्य केवल सुरक्षा तक सीमित नहीं है।

उदाहरण के लिए, मगरमच्छों में, वे ऊष्मा नियंत्रण में मदद करते हैं, गति में भूमिका निभाते हैं और अंडे देने के दौरान कैल्शियम की आपूर्ति भी करते हैं। इन कम समझे गए कार्यों की परस्पर क्रिया के कारण ही लंबे समय से यह पता लगाना मुश्किल रहा है कि ओस्टियोडर्म का विकास कैसे और क्यों हुआ।

इस पहेली को सुलझाने के लिए, हमें शुरुआत में वापस जाना पड़ा।

हैरानी की बात है कि आज तक विज्ञान इस बात पर भी सहमत नहीं हो पाया है कि किस प्रजाति में ओस्टियोडर्म होते हैं। इसलिए, हमने छिपकलियों और सांपों में ओस्टियोडर्म का पहला बड़े पैमाने पर अध्ययन करने के लिए विशेषज्ञों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम बनाई।

हमने फ्लोरिडा प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय, बर्लिन स्थित प्राकृतिक इतिहास संग्रहालय और विक्टोरिया संग्रहालय जैसे संस्थानों के वैज्ञानिक संग्रहों से नमूनों का अध्ययन किया।

हालांकि, हमें जल्द ही पता चला कि इसमें चुनौतियां भी थीं। पहली बात, एक ही प्रजाति के जीवों में ओस्टियोडर्म की उपस्थिति में काफ़ी अंतर हो सकता है। दूसरी बात, इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि सभी नमूनों में ओस्टियोडर्म पर्याप्त रूप से संरक्षित हैं।

सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि ये त्वचा के ऊतकों में गहराई तक दबे होते हैं और केवल आंखों से दिखाई नहीं देते। परंपरागत रूप से, इन्हें ढूंढ़ने का मतलब था नमूने को नष्ट करना।

इसके बजाय, हमने माइक्रो-कंप्यूटेड टोमोग्राफी (माइक्रो-सीटी) का सहारा लिया, जो मेडिकल सीटी स्कैन जैसी ही एक इमेजिंग तकनीक है, लेकिन इसका रिज़ॉल्यूशन कहीं ज़्यादा है। इससे हम अपने नमूनों को सुरक्षित रखते हुए सूक्ष्मतम शारीरिक संरचनाओं का भी अध्ययन कर पाए।

कंप्यूटर-जनित 3डी मॉडल का उपयोग करते हुए, हमने दुनिया भर की छिपकलियों और सांपों के शरीरों का डिजिटल रूप से अन्वेषण किया। पहले के साहित्य से प्राप्त आंकड़ों को शामिल करते हुए, हमने अस्थि-त्वचा की खोज में लगभग 2,000 ऐसे नमूनों का प्रसंस्करण किया।

अपने परिणामों को स्पष्ट करने के लिए, हमने रेडियोडेंसिटी हीटमैपिंग नामक एक तकनीक विकसित की, जो शरीर में अस्थि संरचनाओं के स्थानों को दृष्टिगत रूप से उजागर करती है।

पहली बार, अब हमारे पास एक व्यापक सूची है जो दिखाती है कि एक बड़े और विविध समूह में ओस्टियोडर्म कहां पाए जा सकते हैं; यह भविष्य के अध्ययनों को दिशा देगा।

सिर्फ़ शारीरिक जिज्ञासा ही नहीं

जो हमने पाया वह अप्रत्याशित था। ऐसा माना जाता था कि छिपकली के कुछ ही परिवारों में ओस्टियोडर्म पाए जाते हैं। हालांकि, हमें अनुमान से लगभग दोगुनी बार ये मिले।

वास्तव में, हमारे परिणाम बताते हैं कि लगभग आधी छिपकलियों में किसी न किसी रूप में ओस्टियोडर्म पाए जाते हैं।

हमारी सबसे आश्चर्यजनक खोज गोआना से संबंधित थी। वैज्ञानिक 200 से भी ज़्यादा वर्षों से मॉनिटर लिजर्ड का अध्ययन कर रहे हैं। कोमोडो ड्रैगन जैसे दुर्लभ मामलों को छोड़कर, लंबे समय से माना जाता था कि उनमें ओस्टियोडर्म नहीं होते।

इसलिए हम और भी अधिक आश्चर्यचकित हो गए जब हमने 29 ऑस्ट्रेलो-पापुअन प्रजातियों में ओस्टियोडर्म की खोज की जो पहले दर्ज नहीं था।

द कन्वरसेशन अमित नेत्रपाल

नेत्रपाल

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