नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) पर्यावरण मंत्रालय ने सोमवार को संसद को बताया कि वर्ष 2014 से 2024 तक पूरे भारत में 1.73 लाख हेक्टेयर से अधिक वन भूमि को गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए उपयोग करने की मंजूरी दी गई है, जिनमें खनन और जलविद्युत परियोजनाएं शामिल हैं।
लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में पर्यावरण राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 (वर्तमान का वन संरक्षण एवं संवर्धन अधिनियम, 1980) के तहत एक अप्रैल, 2014 से 31 मार्च, 2024 के बीच विभिन्न गैर-वानिकी उद्देश्यों के लिए 1,73,984.3 हेक्टेयर वन भूमि को हस्तांतरित करने को मंजूरी दी गई थी।
इस अवधि के दौरान वन भूमि का सबसे अधिक उपयोग खनन और उत्खनन गतिविधियों के लिए किया गया, जिसके लिए 40,096.17 हेक्टेयर भूमि का उपयोग करने की अनुमति दी गई थी।
सिंह के अनुसार, इनमें खनन गतिविधियों की एक विस्तृत शृंखला शामिल थी जो खनिज समृद्ध क्षेत्रों, विशेष रूप से मध्य और पूर्वी भारत में वन भूमि की कटाई के सबसे बड़े कारणों में से एक बनी हुई है।
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