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Tuesday, July 22, 2025

केंद्र ने ‘उदयपुर फाइल्स’ में छह दृश्यों को हटाने का सुझाव दिया, न्यायालय ने रिलीज पर रोक जारी रखी

Newsकेंद्र ने ‘उदयपुर फाइल्स' में छह दृश्यों को हटाने का सुझाव दिया, न्यायालय ने रिलीज पर रोक जारी रखी

नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) केंद्र ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि उसने फिल्म ‘उदयपुर फाइल्स- कन्हैया लाल टेलर मर्डर’ में छह दृश्यों को हटाने का सुझाव दिया है।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ से कहा, ‘‘मेरी व्यक्तिगत राय में, सक्षम प्राधिकारी द्वारा सुझाई गई बातों के अलावा कोई भी आगे की कार्रवाई अनुच्छेद 19 का उल्लंघन होगी। मैंने आदेश पढ़ लिया है।’’

शीर्ष अदालत ने मेहता से आदेश को रिकॉर्ड पर रखने को कहा।

फिल्म निर्माताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता गौरव भाटी ने कहा कि केंद्र अपने पुनरीक्षण अधिकार क्षेत्र का प्रयोग कर रहा है और उसने फिल्म के दृश्यों में छह ‘कट’ लगाने की सिफारिश की है।

न्यायमूर्ति कांत ने भाटिया से कहा कि फिल्म निर्माताओं को दृश्यों को हटाने के निर्देशों का पालन करना होगा, जब तक कि वे आदेश को चुनौती नहीं देते।

आरोपी मोहम्मद जावेद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मेनका गुरुस्वामी ने फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगाने का अनुरोध करते हुए कहा कि जब तक उच्चतम न्यायालय इस मुद्दे पर फैसला नहीं सुना देता, तब तक अंतरिम रोक जारी रहनी चाहिए।

पीठ ने अगले आदेश तक रोक जारी रखी और सुनवाई 24 जुलाई के लिए निर्धारित की।

शीर्ष अदालत ने 16 जुलाई को फिल्म निर्माताओं से कहा कि वे फिल्म के खिलाफ आपत्तियों पर सुनवाई के लिए केंद्र द्वारा नियुक्त पैनल के फैसले का इंतजार करें।

इसने फिल्म निर्माताओं से कहा कि यदि फिल्म रिलीज होती है तो कन्हैया लाल दर्जी हत्या मामले के आरोपियों की प्रतिष्ठा के नुकसान की भरपाई नहीं हो सकती, लेकिन फिल्म निर्माताओं को आर्थिक रूप से मुआवजा दिया जा सकता है।

उच्च न्यायालय ने 10 जुलाई को जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी की याचिका पर फिल्म की रिलीज पर रोक लगा दी थी। सिनेमैटोग्राफ अधिनियम, 1952 की धारा छह के तहत केंद्र सरकार की शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार द्वारा अभ्यावेदन पर निर्णय लिए जाने तक फिल्म की रिलीज पर रोक लगाई गई थी। इसके लिए उच्च न्यायालय ने एक सप्ताह का समय दिया था।

शीर्ष अदालत ने केंद्र के पैनल को सभी पक्षों को सुनने के बाद बिना समय गंवाए तुरंत निर्णय लेने को कहा था और हत्या के मामले में आरोपियों की भी सुनवाई का आदेश दिया था।

इसने संबंधित क्षेत्र के पुलिस अधीक्षक को निर्देश दिया कि वे खतरे की आशंका का आकलन करें और फिल्म निर्माताओं के परिवार के सदस्यों एवं दर्जी के बेटे, जिन्हें कथित तौर पर धमकियां मिल रही थीं, की जान-माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करें।

फिल्म निर्माताओं ने दावा किया कि उन्हें केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) से प्रमाणपत्र मिल गया है, जिसमें बोर्ड ने 55 दृश्यों को हटाने का सुझाव दिया। फिल्म 11 जुलाई को रिलीज होने वाली थी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि फिल्म को सीबीएफसी प्रमाणपत्र मिलने के बावजूद, केंद्र के पास दृश्यों में और कटौती करने या फिल्म को प्रदर्शित होने से रोकने का सुझाव देने का अधिकार है और सक्षम प्राधिकारी के निर्णय का इंतजार करना चाहिए।

उदयपुर के दर्जी कन्हैया लाल की जून 2022 में कथित तौर पर मोहम्मद रियाज और मोहम्मद गौस ने हत्या कर दी थी।

हमलावरों ने बाद में एक वीडियो जारी किया जिसमें दावा किया गया कि यह हत्या उस दर्जी द्वारा कथित तौर पर पूर्व भाजपा सदस्य नूपुर शर्मा के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट साझा करने की प्रतिक्रिया में की गई थी। शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद के बारे में कथित तौर पर विवादास्पद टिप्पणी की थी।

मामले की जांच राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने की और आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धाराओं के अलावा कड़े गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया। मुकदमा जयपुर स्थित विशेष एनआईए अदालत में लंबित है।

भाषा आशीष नेत्रपाल

नेत्रपाल

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