अमरावती, 21 जुलाई (भाषा) आंध्र प्रदेश में पिछली वाईएसआरसीपी सरकार के दौरान हुए 3,500 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले की पुलिस जांच से पता चला है कि लोकप्रिय शराब निर्माता ‘तिलकनगर इंडस्ट्रीज लिमिटेड (टीआईएल)’ ने सरकारी शराब निगम से आपूर्ति ऑर्डर हासिल करने के लिए कथित तौर पर 218 करोड़ रुपये की रिश्वत दी।
इस कथित शराब घोटाले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने शनिवार को विजयवाड़ा की एक अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया। हालांकि, अदालत ने फिलहाल आरोपपत्र पर संज्ञान नहीं लिया है।
वैसे, आरोपपत्र में टीआईएल को आरोपी के रूप में नामजद नहीं किया गया है।
अधिकारियों ने जांच के हवाले से बताया, ‘‘तिलकनगर इंडस्ट्रीज ने एपीएसबीसीएल (आंध्र प्रदेश राज्य पेय पदार्थ निगम लिमिटेड) से लगभग 1,472 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित किया। एक अंदाजा लगाया गया है कि 218 करोड़ रुपये की रिश्वत दी गई और भेजी गई मात्रा और कीमत के आधार पर एपीएसबीसीएल के माध्यम से सिंडिकेट को भुगतान किया गया।’’
इस संबंध में टीआईएल के एक वरिष्ठ अधिकारी को प्रतिक्रिया जानने के लिए भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं आया है।
जांच के दौरान, टीआईएल के कुछ संदिग्ध बैंक लेन-देन सामने आए और इनसे पता चला कि एपीएसबीसीएल से प्राप्त धनराशि को अज्ञात नकदी में बदल दिया गया था।
कंपनी ने एपीएसबीसीएल में अपनी विशेष स्थिति और प्रभाव का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर बिक्री हासिल करने के लिए किया। कंपनी ने आरोप लगाया कि इस लाभ को बनाए रखने के लिए, उसने अपने वैध राजस्व का एक हिस्सा आभूषण व्यापारियों को दिया।
अधिकारियों ने आरोपपत्र का हवाला देते हुए कहा, ‘‘प्राप्त सोने को व्यवस्थित तरीके से सिंडिकेट संचालकों को सौंप दिया गया। इससे लेनदेन को जीएसटी-अनुपालन वाले वैध व्यावसायिक व्यय का रूप दिया गया, जबकि प्रभावी रूप से सफेद बैंक रकम को अज्ञात काली संपत्ति में बदल दिया गया।’’
उन्होंने कहा कि ‘तिलकनगर इंडस्ट्रीज लिमिटेड’ प्रकरण दर्शाता है कि शराब सिंडिकेट ने भारी नियंत्रण स्थापित किया, यहां तक कि प्रमुख बड़ी कंपनियों को भी अपनी वैध आय का एक हिस्सा सोने के गुप्त लेन-देन के माध्यम से देने के लिए मजबूर किया।
वाईएसआरसीपी सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने रविवार को एक सोशल मीडिया पोस्ट में कथित शराब घोटाले को एक मनगढ़ंत कहानी के अलावा कुछ नहीं बताया, जो पूरी तरह से मीडिया की नाटकीयता है और वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए गढ़ी गई है।
भाषा
राजकुमार पारुल
पारुल