नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को इंडियाबुल्स हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (आईएचएफएल) से जुड़े एक मामले में पेश न होने पर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को फटकार लगाई।
यह मामला आईएचएफएल, जिसे अब सम्मान कैपिटल लिमिटेड के नाम से जाना जाता है, द्वारा कॉरपोरेट संस्थाओं को कथित रूप से संदिग्ध ऋण देने से जुड़ा हुआ है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने कहा, ‘‘सीबीआई को नोटिस जारी करने के बावजूद वह हमारे सामने पेश क्यों नहीं हुई? सीबीआई कैसे कह सकती है कि हम अदालत में पेश नहीं होंगे? क्या सीबीआई में हमारे सामने पेश न होने की हिम्मत है? सीबीआई के कुछ वरिष्ठ अधिकारियों को हमारे सामने आने दीजिए।’’
सिटिजन्स व्हिसल ब्लोअर फोरम की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने आरोप लगाया कि इंडियाबुल्स कंपनियों को हजारों करोड़ रुपये ऋण देती थी, जिसके बदले में ये कंपनियां गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी के प्रवर्तकों को करोड़ों रुपये के असुरक्षित ऋण देती थीं।
प्रवर्तन निदेशालय की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने कहा कि एजेंसी मामले की जांच कर रही है और जहां तक सीबीआई का सवाल है, तो एक औपचारिक शिकायत दर्ज होनी चाहिए।
शीर्ष न्यायालय ने कहा, ‘‘सीबीआई न्यायिक रिकॉर्ड के आधार पर मामला दर्ज कर सकती है। अगर कुछ भी गलत हुआ है, तो केंद्रीय (जांच) एजेंसियों को एक रिपोर्ट पेश करनी चाहिए थी। एफआईआर या शिकायत का इंतज़ार क्यों किया जाए? कोई भी कानून से ऊपर नहीं होना चाहिए।’’
न्यायमूर्ति कांत ने राजू से कहा कि वह सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों को अदालत में पेश होने के लिए कहें, क्योंकि वह उनसे कुछ सवाल पूछना चाहते हैं। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई 30 जुलाई के लिए निर्धारित की है।
भाषा अजय पाण्डेय
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