नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) अमेरिकी प्रशासन के सीमा शुल्क बढ़ाने के फैसले से अमेरिकी बाजार में प्रमुख उत्पाद आपूर्तिकर्ताओं की सूची में बदलाव आया है और भारत, चीन और कनाडा की कीमत पर लाभार्थी बनकर उभरा है। एक अधिकारी ने सोमवार को यह बात कही।
एक विश्लेषण के मुताबिक, मई में अमेरिका के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में भारत की हिस्सेदारी बढ़कर 7.2 प्रतिशत हो गई जबकि साल भर पहले की समान अवधि में यह 3.5 प्रतिशत थी। इस अवधि में चीन की हिस्सेदारी 22 प्रतिशत से घटकर 11 प्रतिशत रह गई।
इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्र में भारत की हिस्सेदारी बढ़ने के पीछे स्मार्टफोन और सौर सेल की अहम भूमिका रही। अप्रैल-जून में कुल इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 47 प्रतिशत बढ़कर 12.41 अरब डॉलर हो गया।
इसी तरह, अमेरिका को वस्त्र निर्यात में चीन की हिस्सेदारी भी 27 प्रतिशत से घटकर 14 प्रतिशत रह गई, जबकि अमेरिकी वस्त्र आयात बाजार में भारत की हिस्सेदारी नौ प्रतिशत से बढ़कर 12 प्रतिशत और वियतनाम की हिस्सेदारी 14 प्रतिशत से बढ़कर 18 प्रतिशत हो गई।
कृषि और समुद्री उत्पादों के क्षेत्र में अमेरिकी आयात में चीन की हिस्सेदारी 3.5 प्रतिशत से घटकर 1.5 प्रतिशत रह गई जबकि भारत की हिस्सेदारी 1.7 प्रतिशत से बढ़कर 2.2 प्रतिशत हो गई।
इंडोनेशिया और वियतनाम ने अमेरिका को कृषि निर्यात में चीन के एक हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया।
सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने यह भी कहा कि वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में भारत, मेक्सिको और यूरोपीय संघ (ईयू) से अमेरिका को निर्यात में सकारात्मक वृद्धि देखी गई है जबकि जी20 देशों में से चीन से अमेरिकी निर्यात में सबसे तेज गिरावट (लगभग पांच प्रतिशत) देखी गई है।
अमेरिका को चीन का निर्यात प्रभावित हुआ है क्योंकि चीन को अमेरिका में सबसे ज़्यादा शुल्क का सामना करना पड़ा है। अमेरिका और चीन के बीच समझौते के बाद भी चीन पर शुल्क 55 प्रतिशत पर बना हुआ है।
दूसरी ओर, अमेरिकी बाज़ारों में भारतीय वस्तुओं पर 10 प्रतिशत का मूल शुल्क लगता है। इसके अलावा, इस्पात एवं एल्युमीनियम पर 50 प्रतिशत और वाहन एवं कलपुर्जों पर 25 प्रतिशत शुल्क लगता है।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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