नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) केंद्र सरकार ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि उस रूसी महिला के अपने बच्चे के साथ नेपाल के रास्ते भारत से बाहर जाने और संभवत: शारजाह के रास्ते वापस रूस पहुंचने का अंदेशा है, जो अपने अलग हुए भारतीय पति के साथ बच्चे के संरक्षण के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही है।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने स्थिति को ‘‘अस्वीकार्य’’ बताया और ‘‘अदालत की घोर अवमानना’’ करार दिया।
पीठ ने कहा, ‘‘उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया था। उसे डुप्लीकेट पासपोर्ट कैसे मिल सकता है? रूसी दूतावास के कुछ अधिकारियों की मदद के बिना यह संभव नहीं हो सकता। यह अदालत की घोर अवमानना है। यह अस्वीकार्य है। हम कुछ कठोर आदेश पारित करेंगे। हम ‘रेड कॉर्नर नोटिस’ जारी करने का निर्देश देंगे और उसके बाद अधिकारियों को कार्रवाई करनी होगी।’’
केंद्र और दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि विदेश मंत्रालय और पुलिस अधिकारी (रूस स्थित) भारतीय दूतावास के अधिकारियों के संपर्क में हैं।
उन्होंने कहा कि ईमेल के आईपी एड्रेस से पता चला है कि महिला पहले बच्चे के साथ बिहार होते हुए नेपाल गई, जिसके बाद उसने शारजाह के लिए उड़ान भरी और फिर अंतत: वहां (शारजाह) से हवाई मार्ग से रूस पहुंची।
भाटी ने कहा, ‘‘हम अब भी मामले की जांच कर रहे हैं और वस्तुस्थिति रिपोर्ट दाखिल करने से पहले कुछ अन्य बातों का पता लगाना चाहेंगे।’’
इसके बाद पीठ ने दिल्ली पुलिस को एक हफ्ते में व्यापक वस्तुस्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
दिल्ली पुलिस ने 18 जुलाई को शीर्ष अदालत में दावा किया था कि रूसी मां ने देश नहीं छोड़ा है, कम से कम कानूनी तौर पर तो नहीं।
भारतीय पिता अलग रह रही रूसी महिला के साथ बच्चे के संरक्षण की लड़ाई लड़ रहा है। उसने आरोप लगाया है कि रूसी महिला बच्चे के संरक्षण से जुड़े अदालती आदेश का पालन नहीं कर रही है।
बच्चे की मां एक रूसी नागरिक है, जो 2019 से भारत में रह रही है। शुरुआत में वह एक्स-1 वीजा पर भारत आई थी, जिसकी अवधि बाद में समाप्त हो गई।
हालांकि, अदालती कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान शीर्ष अदालत ने समय-समय पर उसके वीजा की अवधि बढ़ाने का निर्देश दिया।
भाषा पारुल नेत्रपाल
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