शिलांग, 21 जुलाई (भाषा) मेघालय उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि सरकारी लाभ प्राप्त करने के लिए आधार कार्ड पहचान का एकमात्र दस्तावेज नहीं हो सकता।
अदालत ने प्रशासन को निर्देश दिया कि जो लोग आधार संख्या दिखाने में असमर्थ हैं या दिखाने को तैयार नहीं हैं, उनसे वैकल्पिक पहचान पत्र स्वीकार किया जाए।
मुख्य न्यायाधीश आईपी मुखर्जी और न्यायमूर्ति डब्ल्यू डिएंगदोह की पीठ ने कहा कि अगर आधार उपलब्ध नहीं है, तो सरकार को पैन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र या पासपोर्ट जैसे अन्य वैध दस्तावेज स्वीकार करने चाहिए।
अदालत ने स्पष्ट किया कि आधार संख्या न होना अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (एससी/एसटी) के विद्यार्थियों के लिए मैट्रिक पश्चात छात्रवृत्ति तथा अन्य वजीफे जैसी योजनाओं के अंतर्गत लाभ प्राप्त करने के लिए अयोग्यता नहीं होगी।
यह अंतरिम निर्देश सामाजिक कार्यकर्ता ग्रेनेथ एम संगमा द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर आया है, जिसमें राज्य सरकार की 31 अक्टूबर, 2023 की अधिसूचना को चुनौती दी गई थी। इस अधिसूचना में सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए आधार को अनिवार्य कर दिया गया था।
पीठ ने कहा कि आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवाओं का लक्षित वितरण) अधिनियम-2016, सरकारी योजनाओं तक पहुंच के लिए पहचान के एकमात्र रूप में आधार को अनिवार्य नहीं करता है।
भाषा आशीष पारुल
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