बेलगावी (कर्नाटक), तीन जून (भाषा) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने मंगलवार को छात्रों को मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा और वृद्धावस्था जैसे क्षेत्रों में अन्वेषण करने के लिए प्रोत्साहित किया और वैसे तो कहा कि महत्वपूर्ण शोध किए जा रहे हैं लेकिन जरूरतमंदों की सहायता के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।
नड्डा ने इस बात पर जोर दिया कि उम्र बढ़ने को रोका नहीं जा सकता लेकिन जीवन की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए इसके बढ़ने में विलंब किया जा सकता है और इसके लिए निरंतर शोध की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं छात्रों से मानसिक स्वास्थ्य शिक्षा और वृद्धावस्था से जुड़े क्षेत्रों में आगे बढ़ने का अनुरोध करता हूं… जहां बहुत सारे शोध किए जा रहे हैं और हमें उस प्रक्रिया को आगे बढ़ाना चाहिए क्योंकि यह एक ऐसा क्षेत्र है जहां लोगों को मदद की जरूरत है।’’
यहां केएलई उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान अकादमी के 15वें दीक्षांत समारोह में छात्रों को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने उस वक्त को याद किया जब नीति निर्माताओं ने देश से प्रतिभा पलायन पर चिंता व्यक्त की थी।
उन्होंने कहा, ‘लेकिन जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में नीति आई, तो हमने कहा कि हम केवल मातृभूमि की ही सेवा नहीं करेंगे बल्कि हम अपनी मातृभूमि और विश्व की भी सेवा करेंगे। और यही कारण है कि स्नातक स्तर पर जो सीटें 45,000 तक सीमित थीं उन्हें बढ़ाकर 1.18 लाख कर दिया गया है और पीजी के लिए इसे बढ़ाकर 54,000 कर दिया गया है और हम यहीं नहीं रुकने वाले हैं।’’
नड्डा ने कहा कि अगले पांच वर्षों में भारत 75,000 नयी मेडिकल सीट जोड़ेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘हम मेडिकल शिक्षा में 75,000 अतिरिक्त सीटें शुरू करने जा रहे हैं। और जब हम ऐसा कहते हैं, तो इसका मतलब सिर्फ़ सीटें बढ़ाना ही नहीं है, बल्कि हम यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि मेडिकल शिक्षा सस्ती हो। मेडिकल शिक्षा सुलभ है, मेडिकल शिक्षा समाज के सभी वर्गों के लिए है।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सामान्य पृष्ठभूमि के लोग भी डॉक्टर बन पा रहे हैं और उन्होंने इसका श्रेय नीति में बदलाव और पारदर्शी व्यवस्था को दिया।
भाषा शोभना वैभव
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