(सौम्या शुक्ला)
नयी दिल्ली, 21 जुलाई (भाषा) पर्यटन मंत्रालय में ‘नौकरी’ के लिए औपचारिकताओं को लेकर स्पष्टीकरण के लिए एक व्यक्ति द्वारा की गई कॉल से एक नौकरी घोटाले का पर्दाफाश हुआ, जिसमें ठगों ने मंत्रालय में एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी के नाम और जाली लेटरहेड का इस्तेमाल करते हुए फर्जी नौकरी के ‘ऑफर लेटर’ जारी किए। यह जानकारी दिल्ली पुलिस में दर्ज एक प्राथमिकी से सामने आई है।
मंत्रालय के एक अधिकारी द्वारा 21 जून को संसद मार्ग थाने में दर्ज कराई गई प्राथमिकी में कहा गया है कि मामला 18 जून को प्रकाश में आया जब उत्तराखंड के एक व्यक्ति ने पर्यटन मंत्रालय से संपर्क करके चाणक्यपुरी स्थित द अशोक होटल में एक ‘चालक की नौकरी’ के लिए औपचारिकताओं पर स्पष्टीकरण मांगा। यह होटल भारत पर्यटन विकास निगम (आईटीडीसी) का एक निकाय है।
प्राथमिकी में कहा गया है, ‘‘18 जून को मनीष पंवार ने हमारे कार्यालय से फोन पर संपर्क किया और चाणक्यपुरी स्थित द अशोक में चालक की कथित नौकरी के लिए औपचारिकताओं पर स्पष्टीकरण मांगा।’’
पंवार के पास एक फर्जी ‘ऑफर लेटर’ था, जिस पर पर्यटन मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और महानिदेशक के आधिकारिक पदनाम का गलत संस्करण अंकित था।
पर्यटन मंत्रालय के अधिकारियों की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई।
प्राथमिकी में कहा गया है, ‘‘यह दस्तावेज पूरी तरह से मनगढ़ंत है और हमारे कार्यालय से जारी नहीं किया गया। ऐसा लगता है कि यह एक व्यापक साजिश का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य जाली सरकारी प्रमाणपत्रों का इस्तेमाल करके, लोगों को नौकरी का झांसा देकर ठगना है।’’
इसमें कहा गया है कि जाली पत्र में न केवल फर्जीवाड़ा शामिल है, बल्कि इससे पर्यटन मंत्रालय और भारत सरकार की प्रतिष्ठा को भी गंभीर खतरा उत्पन्न हुआ।
मामले का संज्ञान लेते हुए, पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 318(4) (धोखाधड़ी), 336(3) (जालसाजी) और 340(2) (जाली दस्तावेजों या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड का उपयोग) के तहत एक मामला दर्ज किया है।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जांच शुरू कर दी गई है और घोटाले में शामिल आरोपियों को पकड़ने के लिए कई टीम गठित की गई हैं।
भाषा अमित नेत्रपाल
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