(ज्ञानेश चव्हाण)
मुंबई, 22 जुलाई (भाषा) मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त ए एन रॉय ने 11 जुलाई 2006 को ट्रेन विस्फोट मामले में बंबई उच्च न्यायालय द्वारा सभी 12 आरोपियों को बरी किए जाने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए मंगलवार कहा कि मामले की जांच पेशेवर तरीके से की गई थी और साक्ष्य ‘‘ईमानदारी और सच्चाई’’ से एकत्र किए गए थे।
उन्होंने कहा कि पुलिस ने केवल उन लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया जिनकी विस्फोटों में ‘मुख्य भूमिका’ थी, और कहा कि इसमें किसी को निशाना नहीं बनाया गया।
ग्यारह जुलाई, 2006 को जब विस्फोट हुए थे, तब रॉय मुंबई पुलिस के प्रमुख थे, जबकि आतंकवादी हमले की जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) द्वारा की जा रही थी।
इस हमले में 180 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और कई अन्य लोग घायल हुए थे। मुंबई उच्च न्यायालय ने सात बम धमाकों के मामले में सोमवार को सभी 12 आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ मामला साबित करने में पूरी तरह विफल रहा है तथा यह विश्वास करना कठिन है कि आरोपियों ने यह अपराध किया है।
मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख रॉय ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा, ‘मैं इस तरह के फ़ैसले को देखकर स्तब्ध हूं। लेकिन यह एक न्यायिक फ़ैसला है, हम इसे सम्मानपूर्वक स्वीकार करते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘संबंधित विभाग, यानी आतंकवाद रोधी दस्ता, फ़ैसले का अध्ययन कर रहा है। वे कानूनी राय लेंगे। मुझे यकीन है कि वे इस पर उच्चतम न्यायालय में अपील दायर करेंगे।’
उच्चतम न्यायालय मुंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार की याचिका पर 24 जुलाई को सुनवाई करेगा।
रॉय ने याद दिलाया कि निचली अदालत ने आरोपियों को कठोरतम सजा सुनाते हुए अभियोजन पक्ष का पक्ष लिया था और कहा कि देश की शीर्ष अदालत इस मामले में गुण-दोष देखेगी।
रॉय ने कहा, ‘हमने आरोपपत्र के माध्यम से अदालत के समक्ष एक बहुत अच्छा, मजबूत मामला प्रस्तुत किया।’
उन्होंने कहा कि यह एक पेशेवर तरीके से की गई, गहन जांच थी, जिसमें साक्ष्य ‘ईमानदारी और सच्चाई’ से एकत्र किए गए थे।
भाषा आशीष पवनेश
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