नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव ने मंगलवार को सवाल किया कि स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने वाले जगदीप धनखड़ का हालचाल जानने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का कोई नेता क्यों नहीं गया।
यादव ‘लोकतंत्र के सामने चुनौतियां’ विषय पर आयोजित ‘एमपी वीरेंद्र कुमार मेमोरियल सेमिनार’ में बोल रहे थे, जहां उन्होंने समाजवादी नेता को श्रद्धांजलि दी और इस बात को रेखांकित किया कि समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र एक-दूसरे के पूरक हैं।
धनखड़ के अचानक इस्तीफा देने का जिक्र करते हुए यादव ने कहा कि कुछ तो गड़बड़ है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमारे लोकप्रिय उपराष्ट्रपति ने स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए इस्तीफा दे दिया, लेकिन भाजपा का कोई भी नेता उनके स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिए उनसे मिलने नहीं गया।’’
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘हम वीरेंद्र कुमार को याद कर रहे हैं और लोकतंत्र की चर्चा कर रहे हैं। शीर्ष पद पर बैठे एक व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं का हवाला देते हुए इस्तीफा देना पड़ा और भाजपा नेता उनके स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ तक नहीं कर रहे हैं… दाल में कुछ काला है।’’
लोकसभा सदस्य यादव ने कहा कि समाजवाद, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र एक-दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अगर ये तीनों एक साथ नहीं हों, तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाता है। अगर हम धर्मनिरपेक्ष नहीं हैं, तो लोकतंत्र के लिए खतरा पैदा हो जाता है।’’
उन्होंने सवाल किया कि धनखड़ को विदाई क्यों नहीं दी गई।
इसी कार्यक्रम में कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री केवी थॉमस ने याद किया कि उन्होंने एक दिन पहले धनखड़ से मुलाकात की थी।
थॉमस ने कहा, ‘‘मैंने अखबार में पढ़ा कि यह (इस्तीफा) स्वास्थ्य की समस्या के कारण है, लेकिन यह राजनीतिक स्वास्थ्य के कारण है।’’
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के राज्यसभा सदस्य संजय यादव ने भी धनखड़ के इस्तीफे के कारणों पर सवाल उठाया।
यादव ने कहा, ‘‘यह पहला मौका है, जब किसी उपराष्ट्रपति ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया हो… शाम चार या साढ़े चार बजे तक, वह पूरी तरह से कार्यरत थे और अपने संवैधानिक कर्तव्यों और दायित्वों का निर्वहन कर रहे थे।’’
उन्होंने कहा कि भारत में लोकतंत्र कई चुनौतियों का सामना कर रहा है, जिनमें आर्थिक और सामाजिक असमानता, गरीबी, लैंगिक भेदभाव जैसी असमानताएं, सांप्रदायिकता, जातिवाद और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे शामिल हैं।
यादव ने बिहार में निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) पर भी सवाल उठाए।
भाषा अविनाश पारुल
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