नयी दिल्ली, 22 जुलाई (भाषा) महाराष्ट्र सरकार ने 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में सभी 12 दोषियों को बरी करने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को विभिन्न आधार पर उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी है।
सरकार ने कहा है कि एक आरोपी से आरडीएक्स की बरामदगी को बेहद ‘तकनीकी आधार’ पर खारिज किया गया कि जब्त विस्फोटकों को एलएसी सील से सील नहीं किया गया था।
उच्च न्यायालय द्वारा सभी 12 आरोपियों को बरी किए जाने के एक दिन बाद राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत का रुख किया।
उच्च न्यायालय ने आरोपियों को यह कहते हुए बरी कर दिया कि अभियोजन पक्ष उनके खिलाफ मामला साबित करने में पूरी तरह विफल रहा है तथा यह विश्वास करना कठिन है कि आरोपियों ने यह अपराध किया है।
प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एनवी अंजारिया की पीठ ने मंगलवार को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता द्वारा उच्च न्यायालय के 21 जुलाई के फैसले के खिलाफ राज्य की अपील पर तत्काल सुनवाई के अनुरोध का संज्ञान लिया और कहा कि बृहस्पतिवार को सुनवाई की जाएगी।
राज्य सरकार ने अपनी अपील में उच्च न्यायालय के बरी करने के आदेश पर कई गंभीर आपत्तियां उठाई हैं।
याचिका में कहा गया है कि महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) की धारा 23(2) के तहत उचित प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों का पालन किया गया था, जिसमें अभियोजन पक्ष के गवाह संख्या 185 अनामी रॉय जैसे वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा उचित मंजूरी भी शामिल है।
इसमें कहा गया कि अभियोजन पक्ष के साक्ष्य में कोई ठोस विरोधाभास न होने के बावजूद उच्च न्यायालय ने इन स्वीकृतियों की वैधता को नजरअंदाज कर दिया।
याचिका में उच्च न्यायालय द्वारा एक आरोपी से 500 ग्राम आरडीएक्स की बरामदगी को इस आधार पर खारिज करने की आलोचना की गई है कि उस पर एलएसी सील नहीं थी।
याचिका में कहा गया है कि आरडीएक्स के अत्यधिक ज्वलनशील होने के कारण सुरक्षा कारणों से इसे सील नहीं किया गया था और बरामदगी की विधिवत मंजूरी दी गई थी तथा उसका दस्तावेजीकरण किया गया था।
भाषा
आशीष पारुल
पारुल