करीब 4 साल पहले सत्ता में आया तालिबान अपनी छवि बदलने के लिए ऑनलाइन लॉबिस्ट का सहारा ले रहा है. ये लॉबिस्ट तालिबान शासन का समर्थन करते हुए उसका बचाव करते नज़र आते हैं. ये लोग खुद को पत्रकार, विश्लेषक या मानवाधिकार रक्षक के रूप में पेश करते हुए बखूबी काम कर रहे हैं. इसे लेकर कई रिपोर्ट सामने आई हैं. दरअसल, 15 अगस्त, 2021 को इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ अफ़गानिस्तान के पतन और तालिबान के सत्ता में वापस आने के बाद से एक बहस छिड़ी हुई है. देश के भीतर और विदेशों में अफ़गानिस्तान के लोग इस बात पर बहस कर रहे हैं कि दुनिया को एक वास्तविक शासन से कैसे निपटना चाहिए, जिसे न तो आंतरिक वैधता प्राप्त है और न ही औपचारिक राजनयिक मान्यता. ऑनलाइन “लॉबिस्ट” तालिबान के हितों को आगे बढ़ाने, जनता की राय को आकार देने, तालिबान की नीतियों का बचाव करने का काम कर रहे हैं. इसके लिए काबुल और उसके बाहर
एक्स, टेलीग्राम, फेसबुक और अन्य प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल करती हैं. अब इसके पीछे के पूरे लॉजिक को समझिए. अब भले ही किसी भी राज्य ने औपचारिक रूप से शासन को मान्यता नहीं दी हो. लेकिन डिजिटल युग में इस तरह की लॉबिंग, तालिबान की बात को लाखों लोगों तक पहुंचा रही हैं.
ये लोग खुलेआम राजनीतिक समर्थन देते हैं, बार-बार तालिबान को अफ़गानिस्तान की सही सरकार के रूप में पेश करते हैं और विदेशी देशों से तालिबान शासन को मान्यता देने का आग्रह करते हैं. ऐसा करके, वे तालिबान को दुनिया से जोड़ना चाहते हैं, तालिबान के हितों को बढ़ावा देना चाहते हैं. वे तालिबान नेताओं की तस्वीरें दिखाते हैं, जिन्हें “अमीर अल-मुमिनिन”, “रक्षा मंत्री” या “आंतरिक मंत्री” जैसे शीर्षकों के साथ पेश किया जाता है और तालिबान अधिकारियों और विदेशी दूतों के बीच हर मुलाकात को, चाहे वह कितनी भी नियमित क्यों न हो, इस बात के सबूत के रूप में पेश करते हैं कि तालिबान भी अब वैश्विक स्वीकृति का हिस्सा बनता जा रहा है.
तालिबान की ‘वाइटवॉशिंग’ का हिस्सा है यह लॉबिंग
वे लोग “जिहाद का अंत”, “अमेरिकियों की हार”, देश के लिए “नए अध्याय” की शुरुआत जैसे नरेटिव पेश कर अफगान की तालाबों सरकार को पाक साफ बताने में लगे हुए हैं. यह एक तरह की व्यवस्थित रूप से “वाइटवॉशिंग” भी है. वे तर्क देते हैं कि तालिबान मौलिक रूप से बदल गया है, वर्तमान नेतृत्व को 1996 से 2001 तक शासन करने वाले की तुलना में अधिक उदार के रूप में प्रस्तुत करता है.
विकास के दावों की आड़ में महिला अधिकार जैसे मुद्दे गौण करने की कोशिश
सड़क की मरम्मत, स्कूल के जीर्णोद्धार और शांत शहर की सड़कों की तस्वीरें प्रसारित की जाती हैं. लेकिन लॉबिस्ट लैंगिक भेदभाव, घर-घर जाकर तलाशी, मनमाने ढंग से हिरासत में लिए जाने, मीडिया द्वारा डराने-धमकाने, सार्वजनिक रूप से कोड़े मारने, लड़कियों की शिक्षा पर प्रतिबंध और महिलाओं के अधिकारों को व्यापक रूप से वापस लेने जैसे मानवाधिकार हनन के सबूतों को पूरी तरह से अनदेखा या कम करते हैं.
ये अकाउंट तालिबान शासन का विरोध करने वाले या यहां तक कि सवाल उठाने वाले किसी भी व्यक्ति को आक्रामक रूप से अवैध बनाते हैं. सैन्य मोर्चों, राजनीतिक विरोधियों और विरोध करने वाली महिलाओं को समान रूप से अपमानित किया जाता है. झूठी रिपोर्ट के साथ बदनाम किया जाता है और अपराधी, विदेशी एजेंट या शांति को बिगाड़ने वाले के रूप में फंसाया जाता है. सभी विरोधियों के प्रति शत्रुता को भड़काकर, ये प्रभावशाली लोग तालिबान के इस दावे को मजबूत करते हैं कि युद्ध खत्म हो गया है, राजनीतिक असहमति अनावश्यक है और कोई भी सशस्त्र या नागरिक प्रतिरोध अवैध है. इस पूरे ऑनलाइन प्रचार की कीमत अफ़गानिस्तान के नागरिकों को चुकानी पड़ती है, जिनके बुरे अनुभव बाहर आने से रोकने की कोशिश की जा रही है.
-कुमार