द्रास (करगिल), 25 जुलाई (भाषा) सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने शनिवार को 26वें करगिल विजय दिवस के उपलक्ष्य में एक पोर्टल समेत तीन परियोजनाओं की शुरुआत की। लोग इस पोर्टल के जरिए शहीदों को ‘ई-श्रद्धांजलि’ दे सकते हैं।
जिन परियोजनाओं की शुरुआत की गई है उनमें क्यूआर कोड आधारित एक ‘ऑडियो गेटवे’ शामिल है, जिस पर लोग 1999 के करगिल युद्ध से जुड़ी वीर गाथाएं सुन सकते हैं। इसके अलावा ‘इंडस व्यूप्वाइंट’ ऐप लोगों को बटालिक सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) तक आभासी तरीके से जाने का मौका मुहैया कराता है।
करगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को मनाया जाता है।
भारतीय सेना ने 1999 में इसी दिन तोलोलिंग और टाइगर हिल समेत करगिल की बर्फीली चोटियों पर लगभग तीन महीने तक चली लड़ाई के बाद ऑपरेशन विजय की सफल समाप्ति की घोषणा की थी।
सेना के एक अधिकारी कहा, ‘‘आम नागरिक अब स्मारक पर जाए बिना ही देश के लिए सर्वोच्च बलिदान देने वाले वीरों को ई-श्रद्धांजलि दे सकते हैं।’’
उन्होंने बताया कि इस परियोजना का उद्देश्य लोगों को यह बताना है कि सशस्त्र बलों ने अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय क्या बलिदान दिए हैं और क्या कठिनाइयां झेली हैं।
अधिकारी ने बताया कि ‘क्यूआर कोड ऐप्लिकेशन’ के माध्यम से लोग 1999 में पाकिस्तानी घुसपैठियों के खिलाफ लड़ी गईं विभिन्न लड़ाइयों की कहानियां सुन सकते हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘‘यह अवधारणा संग्रहालयों जैसी है, जहां आगंतुक ईयरफोन लगाकर प्रदर्शनियों का विवरण सुन सकते हैं। इसके जरिए लोगों को सैनिकों के साहस, वीरता, शौर्य और बलिदान की गाथा सुनने को मिलेगी।’’
‘इंडस व्यूप्वाइंट’ परियोजना आगंतुकों को बटालिक सेक्टर में नियंत्रण रेखा तक आभासी तरीके से जाने की सुविधा प्रदान करेगी।
अधिकारी ने कहा, ‘‘इससे आगंतुकों को उन परिस्थितियों के बारे में जानकारी मिलेगी जिनमें जवान देश की सेवा करते हैं। आगंतुकों को इसका अनुभव होगा कि राष्ट्र की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सैनिकों को रोजाना किन कठिनाइयों और निरंतर खतरों का सामना करना पड़ता है।’’
बटालिक करगिल युद्ध के दौरान मुख्य युद्धक्षेत्रों में से एक था। करीब 10,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित बटालिक करगिल, लेह और बाल्टिस्तान के बीच सामरिक रूप से अहम स्थान पर स्थित होने के कारण कारगिल युद्ध का केंद्र बिंदु था। सिंधु नदी घाटी में स्थित यह छोटा सा गांव अब एक प्रमुख पर्यटक स्थल बन गया है।
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सिम्मी अमित
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