नयी दिल्ली, 26 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने सजा समीक्षा बोर्ड के उस फैसले को रद्द कर दिया है जिसमें वर्ष 1993 में 192 यात्रियों से भरे इंडियन एयरलाइन के विमान का अपहरण करने के दोषी एक व्यक्ति को समय से पहले रिहा करने से इनकार कर दिया गया था।
न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने मामले को नए सिरे से विचार के लिए सजा समीक्षा बोर्ड (एसआरबी) को वापस भेज दिया और उसे आठ हफ्तों के भीतर अपना फैसला सुनाने को कहा।
उच्च न्यायालय ने सात जुलाई के अपने आदेश में कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि एसआरबी का विवादित फैसला अपर्याप्त तर्क और प्रासंगिक सामग्रियों पर विचार न करने से ग्रस्त है, जिसमें याचिकाकर्ता के आचरण और सुधार से संबंधित न्यायिक टिप्पणियां भी शामिल हैं। इसलिए उक्त फैसले को बरकरार नहीं रखा जा सकता।’’
अदालत ने कहा कि जेल में दोषी हरि सिंह के आचरण से सुधार के संकेत मिले हैं।
सिंह को अपहरण-रोधी अधिनियम की धारा चार और भारतीय दंड संहिता की धारा 353, 365 और 506(दो) के तहत अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।
उसे 2001 में अधीनस्थ अदालत ने दोषी ठहराया था। 2011 में उच्च न्यायालय ने उसकी अपील खारिज कर दी और उच्चतम न्यायालय से विशेष अनुमति याचिका वापस ले ली गई।
उच्च न्यायालय का कहना था कि एसआरबी द्वारा समयपूर्व रिहाई पर विचार के लिए समय-समय पर उसका नाम लिया गया था, लेकिन अपराध की गंभीरता के आधार पर इसे लगातार खारिज कर दिया गया।
बारह मई तक सिंह ने 17 वर्ष, 11 महीने और छह दिन की वास्तविक कारावास और 22 वर्ष, छह महीने और 20 दिन की कुल कारावास की सजा (छूट सहित) काट ली थी।
सिंह को राहत देते हुए अदालत ने कहा कि सिंह के आवेदन को खारिज करते समय एसआरबी द्वारा दिया गया तर्क अपर्याप्त था और एक कार्यकारी प्राधिकारी द्वारा आदेश देने के लिए आवश्यक उचित औचित्य के अपेक्षित मानकों को पूरा नहीं करता था।
भाषा
संतोष माधव
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