(सुमीर कौल)
श्रीनगर, 26 जुलाई (भाषा) पेरिस में 2024 के ओलंपिक खेलों में कयाकिंग और कैनोइंग के लिए भारत की एकमात्र महिला जूरी बिलकिस मीर ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एससीबी) द्वारा दर्ज प्राथमिकी को खारिज करने के लिए अपनी तीन साल की कानूनी लड़ाई में जीत हासिल की है। जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने अधिकारियों की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि ‘‘ऐसा लगता है कि शीर्ष पर बैठे लोग ऐसे प्रतिभाशाली लोगों को परेशान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।’’
अदालत ने कहा कि जब मीर ने दुनियाभर में देश का नाम रोशन किया है, तब उनके द्वारा ‘‘तकनीकी योग्यता हासिल न करने को अपराध घोषित करने’’ में एसीबी का रवैया ‘‘हमारे खेल नायकों के साथ हमारे व्यवहार के तरीके को दर्शाता है’’ और ऐसा प्रतीत होता है कि यह मामला ‘‘निहित स्वार्थों द्वारा याचिकाकर्ता के खिलाफ शुरू किया गया एक षड्यंत्र’’ है।
मीर आज भी तीन साल पहले के उस पल को याद करके सिहर उठती हैं, जब उन्हें अखबारों से पता चला कि एसीबी ने उनके खिलाफ मामला दर्ज किया है।
उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मेरे सपने टूट गए और मैं समझ नहीं पा रही थी कि मेरी गलती क्या थी।’’ मीर जब ऐसा कह रही थी तो उनकी आंखों में आंसू थे।
उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को प्राथमिकी को खारिज कर दिया। प्राथमिकी में दावा किया गया था कि उन आरोपों का सत्यापन किया गया था कि शारीरिक शिक्षा शिक्षक के रूप में नियुक्त मीर ने अपनी परिवीक्षा के दौरान शारीरिक शिक्षा में स्नातक पाठ्यक्रम पूरा नहीं किया था।
एसीबी ने 2023 में मीर के खिलाफ जम्मू-कश्मीर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के तहत प्राथमिकी दर्ज की थी, जिसमें उन पर आधिकारिक कार्य के लिए कानूनी पारिश्रमिक से परे रिश्वत लेने और आपराधिक साजिश में शामिल होने का आरोप लगाया गया था।
यहीं से मीर की पीड़ा की शुरुआत हुई। उन्होंने कहा, ‘‘जब मैंने कयाकिंग करने का फैसला किया, तो मेरे पास अभ्यास के लिए पैडल खरीदने के पैसे नहीं थे। मैंने उस समय भारत की जर्सी पहनी थी जब आतंकवाद अपने चरम पर था। किसी भी चीज ने मुझे नहीं रोका, लेकिन यह एक ऐसा झटका था जिसे मैं झेलने के लिए तैयार नहीं थी, और मैंने चुनौती देने का फैसला किया।’’
कयाकिंग और कैनोइंग, दोनों ही पानी में नाव चलाने की गतिविधियां हैं।
मीर का शानदार 28 साल का करियर आठ साल की उम्र में शुरू हुआ था और उनकी उपलब्धियों में हंगरी में 2009 के कैनोइंग और कयाकिंग विश्व कप में भारत का प्रतिनिधित्व करना शामिल है, जहां वह आठवें स्थान पर रहीं।
वह एशियाई खेलों (चीन) में जूरी के रूप में नियुक्त होने वाली पहली भारतीय महिला थीं और उन्होंने लंदन ओलंपिक 2012 के लिए कयाकिंग और कैनोइंग में महिला टीम के लिए राष्ट्रीय कोच के रूप में कार्य किया था।
मीर को बुडापेस्ट के ‘सेमेल्विस यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ कोचिंग एंड स्पोर्ट’ से अंतरराष्ट्रीय कोचिंग डिप्लोमा प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला होने का गौरव भी प्राप्त है।
उन्होंने कहा कि जब उन्हें पेरिस ओलंपिक के लिए एक जूरी के रूप में चुना गया था, जिसके लिए उन्हें उड़ान पकड़ने के लिए अदालती आदेश के खिलाफ लड़ना पड़ा था।
उन्होंने याद करते हुए कहा, ‘‘कई बार मैंने इसे छोड़ देने का मन बनाया, लेकिन देश के लिए कुछ करने की मुझ में जो आग थी, उसने मुझे हमेशा प्रेरित किया।’’
न्यायमूर्ति संजय धर ने 20 पृष्ठों के आदेश में भारतीय ओलंपिक संघ के उपाध्यक्ष द्वारा 16 फरवरी, 2024 को मुख्य सचिव को लिखे गए पत्र का हवाला दिया, जिसमें याचिकाकर्ता की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया था और कहा गया था कि ओलंपिक में जूरी के लिए मीर का चयन न केवल पूरे देश के लिए बल्कि विशेष रूप से जम्मू और कश्मीर के लिए गर्व की बात है।
अदालत ने इस संदेश का भी उल्लेख किया कि यह भारत की सभी महिलाओं के लिए उत्सव और विजय का दिन है कि उन्होंने वह हासिल किया है जो ओलंपिक के सौ से अधिक वर्षों में किसी और ने हासिल नहीं किया है।
अदालत ने कहा, ‘‘इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि आजादी के 75 साल से अधिक समय बाद भी यह देश खेल संस्कृति विकसित करने में विफल रहा है, जिसके परिणामस्वरूप हम अपनी जनसंख्या के अनुपात में अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी तैयार करने में विफल रहे हैं।’’
अदालत ने कहा कि मीर द्वारा तकनीकी योग्यता हासिल न करने को अपराध घोषित करने में एसीबी का रवैया इस बात को दर्शाता है कि हम अपने खेल नायकों के साथ किस तरह का व्यवहार कर रहे हैं।
कड़े शब्दों में लिखे आदेश में अदालत ने कहा कि वह यह जानकर चिंतित है कि एसीबी ने इस मुद्दे की भी जांच करने की कोशिश की है कि क्या मीर की स्नातक परीक्षा में उत्तर पुस्तिकाओं का परीक्षकों द्वारा उचित मूल्यांकन किया गया है।
अदालत ने कहा, ‘‘एसीबी का यह रवैया स्पष्ट रूप से याचिकाकर्ता (मीर) पर बदले की भावना से प्रेरित है। वर्तमान मामला कुछ और नहीं बल्कि निहित स्वार्थों द्वारा याचिकाकर्ता के खिलाफ शुरू किया गया एक षड्यंत्र प्रतीत होता है।’’
अदालत ने कहा कि इन परिस्थितियों में मीर के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई जारी रखना ‘‘कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग’’ के अलावा कुछ नहीं होगा और प्राथमिकी को रद्द कर दिया।
मीर ने अपनी आपबीती सुनाते हुए कहा, ‘‘अब मैं इसके लिए किसे ज़िम्मेदार ठहराऊं?’’ उन्होंने कहा कि वह नौकरी छोड़ना चाहती थीं, लेकिन उन्होंने ऐसा न करने का फैसला किया, क्योंकि इससे अगली पीढ़ी की महिलाएं आगे आने से हतोत्साहित हो सकती थीं।
मीर ने कहा, ‘‘मेरी असली जीत यह है कि कश्मीर की 200 महिलाएं अब इस खेल का अभ्यास कर रही हैं, जबकि प्रशासन ने मेरी हिम्मत तोड़ने की हरसंभव कोशिश की थी।’’
भाषा
देवेंद्र माधव
माधव