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Sunday, July 27, 2025

देश की न्याय प्रणाली की कसौटी हाशिए पर पड़े वर्गों के साथ व्यवहार में निहित : उमर अब्दुल्ला

Newsदेश की न्याय प्रणाली की कसौटी हाशिए पर पड़े वर्गों के साथ व्यवहार में निहित : उमर अब्दुल्ला

श्रीनगर, 26 जुलाई (भाषा)जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि देश की न्याय प्रणाली की असली परीक्षा समाज के कमजोर वर्गों के साथ उसके व्यवहार में निहित है।

अब्दुल्ला शेर ए कश्मीर इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर (एसकेआईसीसी) में रक्षा कर्मियों और आदिवासियों के लिए न्याय के संवैधानिक दृष्टिकोण की पुष्टि पर दो दिवसीय उत्तर क्षेत्र क्षेत्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने ‘‘सबसे अधिक हाशिए पर’’ पर रह रहे लोगों को न्याय प्रदान करने में कानूनी सेवाओं के लिए अपनी सरकार के समर्थन को दोहराते हुए कहा, ‘‘हमें संविधान में किये वादों को वास्तविक जमीन पर उतारने के लिए आवश्यक हर संस्थागत, वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए।’’

अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘हमारी न्याय व्यवस्था की असली परीक्षा समाज के सभी कमजोर वर्गों के साथ उसके व्यवहार में निहित है। इनमें वे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने बिना किसी सवाल के हमारा बचाव किया है और वे लोग भी जिनके अधिकारों को अक्सर अनदेखा किया गया है।’’

उन्होंने कहा कि इस परीक्षा का सामना विनम्रता, गारंटी और संकल्प के साथ किया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कहा कि सम्मेलन का विषय रक्षा कर्मियों और जनजातीय समुदायों के अधिकारों और हकों पर केन्द्रित है, जो समाज के दो वर्गों को छूता है – रक्षाकर्मी जो अडिग संकल्प के साथ संविधान की रक्षा करते हैं, और जनजातीय लोग जो लंबे समय से इसके पूर्ण रूप से अंगीकार होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘यह सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि न्याय संस्थाएं तेजी, संवेदनशीलता और मजबूती के साथ अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए आगे आएं।’’

इस बीच, कारगिल विजय दिवस के अवसर पर अब्दुल्ला ने 1999 के युद्ध में शहीद हुए सैनिकों को याद किया और उनके बलिदान की सराहना की।

उन्होंने कहा, ‘‘आज, विजय दिवस के पावन अवसर पर, मैं अपने भूतपूर्व और वर्तमान रक्षा कर्मियों की सेवा और बलिदान को स्वीकार करते हुए अपनी बात शुरू करना चाहता हूं। इन पुरुषों और महिलाओं ने, जिनमें से कई जम्मू-कश्मीर के थे, सुदूर, दुर्गम इलाकों में शांति से गरिमा और कर्तव्य की स्थायी भावना के साथ सेवा की।’’

भाषा धीरज दिलीप

दिलीप

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