शिमला, 26 जुलाई (भाषा) कारगिल विजय दिवस की 26वीं सालगिरह पर युद्ध में शामिल रहे सैनिक प्रवीण ने उन दिनों को याद करते हुए बताया, ‘‘हमने तीन महीने तक न नहाया और न ही दाढ़ी बनाई और कई बार बर्फ खाकर अपनी प्यास बुझाई।’’
सेना की दस जम्मू-कश्मीर राइफल्स के जवान प्रवीण ने बताया कि चार मई 1999 की शाम को अचानक आदेश मिला कि केवल राइफलों के साथ द्रास सेक्टर की ओर बढ़ें, क्योंकि चढ़ाई बहुत खड़ी थी।
शिमला के संजौली निवासी प्रवीण ने कारगिल विजय दिवस पर आयोजित जिला स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘पूरी रात यात्रा करने के बाद अगली सुबह जब हम अपने गंतव्य पर पहुंचे तो द्रास सेक्टर का गांव खाली था और अचानक पाकिस्तानी सेना ने भारी बमबारी शुरू कर दी। हमारे समूह के दो सैनिक शहीद हो गए, जबकि दो अन्य घायल हो गए।’’
उन्होंने बताया, ‘‘खाना रात में आता था।’’
प्रवीण ने बताया कि पाकिस्तान ने कारगिल के द्रास सेक्टर की प्रमुख पर्वत चोटी टाइगर हिल सहित कई चोटियों पर कब्जा कर लिया था। उन्होंने बताया कि इन चोटियों का सामरिक सैन्य महत्व है क्योंकि इन चोटियों से श्रीनगर-लेह राजमार्ग साफ तौर पर दिखाई देता है।
कार्यक्रम में शामिल अवकाश प्राप्त सूबेदार मेजर दिवाकर दत्त शर्मा (19 जेएंडके राइफल्स) ने कहा कि तापमान शून्य से 30 से 40 डिग्री नीचे था और दुश्मन द्वारा कब्जा की गई पहाड़ियां बहुत खड़ी थीं।
उन्होंने कहा कि एक दिन में चढ़ाई करना संभव नहीं था और हमें बीच-बीच में रुकना पड़ा।
शर्मा ने बताया, ‘‘इसके बाद हमने दुश्मन पर पीछे से हमला किया, जबकि उन्हें इसका कोई सुराग नहीं लगा।’’
सूबेदार मेजर राम लाल शर्मा ने बताया, ‘‘हमने इस युद्ध में अपने कई सैनिकों को खो दिया। लेकिन भारतीय सेना ने विजय का झंडा फहराया क्योंकि सभी ने अपने साथियों की शहादत का बदला लेने का फैसला किया और कारगिल युद्ध के दौरान दुश्मन को हराया।’’
वह अपने चचेरे भाई दिवाकर दत्त शर्मा के साथ जी यूनिट में तैनात थे।
भारतीय सेना ने 26 जुलाई, 1999 को लद्दाख में कारगिल की बर्फीली चोटियों पर लगभग तीन महीने तक चली लड़ाई के बाद ‘ऑपरेशन विजय’ के सफलतापूर्वक संपन्न होने घोषणा की थी। इस दिन को हर साल कारगिल विजय दिवस के रूप में मनाया जाता है।
शिमला के जिला उपायुक्त अनुपम कश्यप ने बताया कि कारगिल युद्ध का हिस्सा रहे पूर्व सैनिक विद्यालयों में अपने अनुभव साझा करेंगे ताकि विद्यार्थियों में देशभक्ति की भावना जागृत हो सके।
उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध में शहीद हुए सैनिकों में से लगभग 20 प्रतिशत हिमाचल प्रदेश के थे।
इस अवसर पर शिमला जिले के सात पूर्व सैनिकों को भी सम्मानित किया गया।
भाषा धीरज रंजन
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