नयी दिल्ली, 27 जुलाई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने जांच एजेंसियों को निर्देश दिया है कि वे जांच में सहायता के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने का हर संभव प्रयास करें, क्योंकि इससे जांच की पारदर्शिता निश्चित रूप से बढ़ेगी और निष्पक्षता सुनिश्चित होगी।
न्यायमूर्ति रविंद्र डुडेजा ने हेरोइन की जब्ती से संबंधित मामले में एक आवेदन पर फैसला करते हुए यह टिप्पणी की।
न्यायाधीश ने 24 जुलाई को दिये आदेश में आरोपी रवि प्रकाश को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा कि यह कोई अनजान बात नहीं है कि 2023 में जब उसे गिरफ्तार किया गया था, तब जांच अधिकारियों के पास वीडियोग्राफी या फोटोग्राफी के उपकरण उपलब्ध नहीं थे, ऐसे में पुलिस के बयान पर सिर्फ इसलिए अविश्वास नहीं किया जा सकता कि जब्ती की वीडियोग्राफी या फोटोग्राफी नहीं है।
अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि घटनास्थल के पास कोई सीसीटीवी कैमरा नहीं था, इसलिए ऐसी कोई फुटेज नहीं है।
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘इस अदालत ने पाया कि प्रौद्योगिकी का उपयोग निश्चित रूप से पुलिस जांच की पारदर्शिता को बढ़ाता है और निष्पक्षता सुनिश्चित करता है, और इसलिए आदर्श रूप से जांच एजेंसी द्वारा जांच में सहायता के लिए प्रौद्योगिकी साधनों का उपयोग करने का हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए।’’
भाषा शफीक दिलीप
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