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Sunday, July 27, 2025

बच्चों में अंतरिक्ष को लेकर एक नयी जिज्ञासा पैदा हुई : प्रधानमंत्री मोदी

Newsबच्चों में अंतरिक्ष को लेकर एक नयी जिज्ञासा पैदा हुई : प्रधानमंत्री मोदी

(फाइल फोटो के साथ)

नयी दिल्ली, 27 जुलाई (भाषा) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला की अंतरिक्ष से पृथ्वी पर सुरक्षित वापसी की सराहना करते हुए रविवार को कहा कि इससे भारत के बच्चों में अंतरिक्ष के प्रति एक नयी जिज्ञासा जागी है।

मोदी ने साथ ही कहा कि देश में केवल अंतरिक्ष क्षेत्र से जुड़े 200 से अधिक स्टार्टअप शुरू हुए हैं।

प्रधानमंत्री ने अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा कि 2047 में विकसित भारत का रास्ता आत्मनिर्भरता से होकर गुजरता है और ‘वोकल फॉर लोकल’ ‘आत्मनिर्भर भारत’ का सबसे मजबूत आधार है।

मोदी ने कहा कि पिछले कुछ हफ्तों में, चाहे वह खेल हो, विज्ञान हो या संस्कृति, बहुत कुछ ऐसा हुआ है, जिस पर हर भारतीय को गर्व है।

उन्होंने कहा, ‘‘हाल में अंतरिक्ष से शुभांशु शुक्ला की वापसी को लेकर देश में खूब चर्चा हुई। जैसे ही शुभांशु पृथ्वी पर सुरक्षित उतरे, लोग खुशी से उछल पड़े, हर दिल में खुशी की लहर दौड़ गई। पूरा देश गर्व से भर गया।’’

मोदी ने कहा, ‘‘मुझे याद है, जब अगस्त 2023 में चंद्रयान-3 की सफलतापूर्वक लैंडिंग हुई, तो देश में एक नया माहौल बना। बच्चों में भी विज्ञान को लेकर, अंतरिक्ष को लेकर एक नयी जिज्ञासा पैदा हुई। छोटे-छोटे बच्चे अब कहते हैं, हम भी अंतरिक्ष में जाएंगे; हम भी चांद पर उतरेंगे – हम भी अंतरिक्ष वैज्ञानिक बनेंगे।’’

‘इंस्पायर-मानक’ अभियान के बारे में बात करते हुए मोदी ने कहा कि यह बच्चों में नवाचार को बढ़ावा देने का अभियान है।

उन्होंने कहा, ‘‘इसमें हर स्कूल से पांच बच्चों का चयन किया जाता है। हर बच्चा एक नया विचार लेकर आता है। अब तक लाखों बच्चे इससे जुड़ चुके हैं और चंद्रयान-3 के बाद इनकी संख्या दोगुनी हो गई है।’’

मोदी ने कहा कि पूरे भारत में बच्चों में अंतरिक्ष के प्रति जिज्ञासा की एक नयी लहर उत्पन्न हुई है। उन्होंने कहा कि देश में अंतरिक्ष के क्षेत्र से जुड़े स्टार्टअप भी तेजी से उभर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘पांच साल पहले 50 से भी कम स्टार्टअप थे। आज अकेले अंतरिक्ष क्षेत्र में 200 से अधिक स्टार्टअप हैं।’’

मोदी ने कहा कि 21वीं सदी के भारत में विज्ञान नयी ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ दिन पहले, हमारे छात्रों ने अंतरराष्ट्रीय रसायन विज्ञान ओलंपियाड में पदक जीते। देवेश पंकज, संदीप कुची, देबदत्त प्रियदर्शी और उज्ज्वल केसरी, इन चारों ने भारत का नाम रोशन किया। गणित की दुनिया में भी भारत ने अपनी छवि मजबूत की है। ऑस्ट्रेलिया में आयोजित अंतरराष्ट्रीय गणित ओलंपियाड में हमारे छात्रों ने तीन स्वर्ण, दो रजत और एक कांस्य पदक जीता।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि अगले महीने मुंबई में खगोल विज्ञान और खगोल भौतिकी ओलंपियाड आयोजित होने जा रहा है। यह अब तक का सबसे बड़ा ओलंपियाड होगा।

मोदी ने कहा कि यह हर भारतीय के लिए गर्व की बात है कि वीरता और दूरदर्शिता के प्रतीक 12 मराठा किलों को यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन) विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘महाराष्ट्र में ग्यारह किले, तमिलनाडु में एक। हर किले से इतिहास का एक अध्याय जुड़ा है। हर पत्थर एक ऐतिहासिक घटना का साक्षी है…सल्हेर किला, जहां मुगलों को हराया गया था, शिवनेरी, जहां छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म हुआ था। एक ऐसा किला, जो दुश्मन के लिए अभेद्य है। खानदेरी किला समुद्र के बीच में बना एक अद्भुत किला है।’’

मोदी ने कहा, ‘‘दुश्मन उन्हें रोकना चाहता था, लेकिन शिवाजी महाराज ने असंभव को संभव कर दिखाया। प्रतापगढ़ किला, जहां अफजल खान को हराया गया था, उस गाथा की गूंज आज भी किले की दीवारों में समाई है। विजयदुर्ग, जिसमें गुप्त सुरंगें थीं, छत्रपति शिवाजी महाराज की दूरदर्शिता का प्रमाण है। मैंने कुछ साल पहले रायगढ़ का दौरा किया था… छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रतिमा के सामने नमन किया था। ये अनुभव जीवनभर मेरे साथ रहेगा।’’

उन्होंने याद दिलाया कि 11 अगस्त, 1908 को बिहार के मुजफ्फरपुर शहर की एक जेल में 18 साल का एक युवक अंग्रेजों के खिलाफ अपनी देशभक्ति जाहिर करने की कीमत चुका रहा था।

मोदी ने कहा, ‘‘जेल के अंदर, अंग्रेज अधिकारी,एक युवा को फांसी देने की तैयारी कर रहे थे। उस युवा के चेहरे पर भय नहीं था, बल्कि गर्व से भरा हुआ था। ऐसा गर्व, जो देश के लिए मर-मिटने वालों को होता है। वह वीर, वह साहसी युवा थे, खुदीराम बोस। सिर्फ 18 साल की उम्र में उन्होंने ऐसा साहस दिखाया, जिसने पूरे देश को झकझोर दिया।’’

उन्होंने कहा कि अगस्त महीना क्रांति का महीना है।

मोदी ने कहा कि एक अगस्त को लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक की पुण्यतिथि होती है। उन्होंने कहा कि इसी महीने, आठ अगस्त को गांधी जी के नेतृत्व में ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ की शुरुआत हुई थी।

उन्होंने कहा, ‘‘फिर आता है 15 अगस्त, हमारा स्वतंत्रता दिवस, हम अपने स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं, उनसे प्रेरणा पाते हैं, लेकिन साथियों, हमारी आजादी के साथ देश के बंटवारे की टीस भी जुड़ी हुई है, इसलिए हम 14 अगस्त को ‘विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस’ के रूप में मनाते हैं।’’

मोदी ने यह भी कहा कि 7 अगस्त, 1905 को एक और क्रांति शुरू हुई, वह स्वदेशी आंदोलन था, जिसने स्थानीय उत्पादों को नयी ऊर्जा दी।

उन्होंने कहा, ‘‘इसी स्मृति में, देश हर साल सात अगस्त को ‘राष्ट्रीय हथकरघा दिवस’ मनाता है। इस वर्ष, 7 अगस्त को ‘राष्ट्रीय हथकरघा दिवस’ के 10 वर्ष पूरे हो रहे हैं। जैसे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान हमारी खादी ने स्वतंत्रता आंदोलन को नयी ताकत दी, वैसे ही आज, जब देश एक विकसित भारत बनने की ओर अग्रसर है, तो कपड़ा क्षेत्र देश की ताकत बन रहा है।’’

मोदी ने कहा, ‘‘वस्त्र क्षेत्र भारत का सिर्फ एक क्षेत्र नहीं है। यह हमारी सांस्कृतिक विविधता का उदाहरण है। आज, वस्त्र और परिधान बाजार बहुत तेजी से बढ़ रहा है और इस विकास की सबसे खूबसूरत बात यह है कि गांवों की महिलाएं, शहरों के डिजाइनर, बुजुर्ग बुनकर और हमारे युवा जिन्होंने स्टार्ट-अप शुरू किया है, सभी मिलकर इसे आगे बढ़ा रहे हैं।’’

मोदी ने कहा कि आज भारत में 3,000 से अधिक कपड़ा स्टार्ट-अप सक्रिय हैं। उन्होंने कहा कि कई स्टार्ट-अप ने भारत की हथकरघा पहचान को वैश्विक ऊंचाई प्रदान की है।

उन्होंने कहा, ‘‘2047 में विकसित भारत का रास्ता आत्मनिर्भरता से होकर गुजरता है और ‘आत्मनिर्भर भारत’ का सबसे बड़ा आधार है – ‘वोकल फॉर लोकल’। केवल वही चीजें खरीदें और बेचें जो भारत में बनी हों, जिनमें किसी भारतीय ने पसीना बहाया हो। यह हमारा संकल्प होना चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि कभी-कभी कुछ लोगों को कोई काम असंभव लगता है, लेकिन जब देश एक विचार पर एकजुट हो जाता है, तो असंभव भी संभव हो जाता है।

मोदी ने कहा, ‘‘’स्वच्छ भारत मिशन’ इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। जल्द ही इस मिशन को 11 साल पूरे हो जाएंगे। लेकिन इसकी ताकत और जरूरत अब भी वही है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि इन 11 वर्षों में ‘स्वच्छ भारत मिशन’ एक जन आंदोलन बन गया है और लोग इसे अपना कर्तव्य मानते हैं और यही वास्तविक जनभागीदारी है।

उन्होंने कहा, ‘‘हर साल होने वाले स्वच्छ सर्वेक्षण ने इस भावना को और बढ़ाया है। इस साल देश के 4500 से ज्यादा शहर और कस्बे इसमें शामिल हुए। पंद्रह करोड़ से ज्यादा लोगों ने इसमें हिस्सा लिया। यह कोई साधारण संख्या नहीं है। यह स्वच्छ भारत की आवाज है।’’

भाषा

देवेंद्र दिलीप

दिलीप

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