(प्रमोद कुमार)
पटना, 27 जुलाई (भाषा) भोजपुरी भाषी लोग बिहार में जन्मे महान लोक कलाकार भिखारी ठाकुर को भारत रत्न देने की जोरदार मांग उठा रहे हैं। प्रेम से ठाकुर को ‘भोजपुरी के शेक्सपियर’ नाम से पुकारने वाले उनके इन समर्थकों का मानना है कि वह अंग्रेजी के महान कवि और नाटककार के बराबर हैं।
अभिनेता से नेता बने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद मनोज तिवारी और रवि किशन सहित कई हस्तियों ने भिखारी ठाकुर को भारत रत्न देने के लिए केंद्र सरकार से लिखित अनुरोध किया है।
भिखारी ठाकुर (1887–1971) बिहार के प्रसिद्ध नाटककार, अभिनेता, लोकगायक और समाज सुधारक थे। उन्हें भोजपुरी भाषा के सबसे महान लेखकों में से एक माना जाता है।
बिहार के सारण जिले के कुतुबपुर (दियारा) गांव में जन्में ठाकुर नाई समुदाय से आते थे।
अभिनेता, गायक एवं नेता मनोज तिवारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘महान भिखारी ठाकुर एक नाटककार, गीतकार, अभिनेता, लोक नर्तक, लोक गायक, लोक नाट्य निर्देशक और समाज सुधारक थे। वह भारत के सबसे महान लोक कलाकारों में से एक थे। अपने समय से बहुत आगे की सोच रखने वाले ठाकुर ने अपना खुद का थिएटर समूह बनाया और प्रतिष्ठित एवं दुनियाभर में प्रख्यात ‘बिदेसिया’ सहित कई नाटक लिखे।’’
तिवारी ने हाल में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर ठाकुर को भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न (मरणोपरांत) देने की मांग की है।
कैमूर जिले के अतरवलिया गांव के निवासी तिवारी ने कहा, ‘‘ठाकुर ने एक योद्धा की तरह जीवन जीते हुए पुरानी सामाजिक व्यवस्था के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने लोककला को अपनाया और समाजिक समस्याओं का आम लोगों की भाषा और बोली (भोजपुरी) में उठाया।’’
उन्होंने कहा कि ‘गंगा-स्नान’, ‘बिदेसिया’, ‘गबरघिचोर’, ‘बेटी-बेचवा’, ‘भाई-विरोध’ और ‘नई-बहार’ जैसे उनके नाटक आज भी प्रासंगिक हैं और ये सभी समाज को एक संदेश देते हैं।
कई भोजपुरी हिट फिल्मों में मुख्य भूमिकाएं निभाने वाले उत्तर प्रदेश से भाजपा सांसद रवि किशन ने भी इसी तरह के विचार प्रकट करते हुए ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं भी मांग करता हूं कि भिखारी ठाकुर को भारत रत्न दिया जाए… वह एक महान लोक कलाकार थे। उन्होंने अपनी रचनाओं को भोजपुरी बोली में इस तरह प्रस्तुत किया कि वह सीधे आम जनता के दिल को छू जाए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘औपनिवेशिक शासन के दौर में जब सांस्कृतिक विघटन हो रहा था तब भिखारी ठाकुर ने भोजपुरी कला परंपरा को पुनर्जीवित करने की कोशिश की। वह इस सम्मान के पूरी तरह हकदार हैं।’’
प्रसिद्ध भोजपुरी गायिका कल्पना पटवारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं मनोज तिवारी और रवि किशन को भिखारी ठाकुर के खातिर भारत रत्न (मरणोपरांत) की मांग करने के लिए धन्यवाद देती हूं। वह एक महान हस्ती थे और उनकी विरासत को दुनिया भर में, खासकर उन देशों में प्रचारित किया जाना चाहिए जहां भोजपुरी भाषी लोग रहते हैं।’’
पटवारी ने कहा, ‘‘मैं भी पिछले कई सालों से उनके लिए भारत रत्न की मांग कर रही हूं। ठाकुर के गीत समारोहों और मेलों में लोगों को मंत्रमुग्ध कर देते हैं और साथ ही, समाज को एक संदेश भी देते हैं।’’
भिखारी ठाकुर के लिए भारत रत्न की मांग पर जैनेंद्र दोस्त (ठाकुर की कृतियों पर आधारित ‘नाच भिखारी नाच’ फिल्म के निर्देशक) ने ‘पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘भिखारी ठाकुर के लिए भारत रत्न की मांग पूरी तरह से जायज है। उनके लोक गीतों की विषय-वस्तु बहुत व्यापक है और आमतौर पर वे समाज की कुरीतियों पर सीधा प्रहार करते हैं।’’
दोस्त ने कहा, ‘‘भिखारी ठाकुर की नाट्य प्रस्तुतियों में इतनी गहराई और प्रभाव था कि उन्होंने पुरानी परंपराओं को भी हिला दिया। आज वह सिर्फ लोक कलाकार नहीं, बल्कि देश-विदेश के कई विश्वविद्यालयों में शोध का अहम विषय बन चुके हैं।’’
बिहार के कला, संस्कृति और युवा मंत्री मोती लाल प्रसाद ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘अगर भिखारी ठाकुर को मरणोपरांत भारत रत्न दिया जाता है तो यह बिहार के लिए गर्व की बात होगी। ठाकुर 20वीं सदी में भारत के सबसे महान लोक कलाकारों में से एक थे। यह सच है कि ठाकुर अपने समय से बहुत आगे की सोच रखने वाले व्यक्ति थे। मैं मनोज तिवारी और अन्य लोगों को भिखारी ठाकुर को भारत रत्न देने की मांग उठाने के लिए धन्यवाद देता हूं।’’
भाषा
खारी नरेश
नरेश