जयपुर, 27 जुलाई (भाषा) राजस्थान में झालावाड़ के एक सरकारी स्कूल में छत गिरने से सात बच्चों की मौत के कुछ दिनों बाद, एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि राज्य के 2,710 स्कूल भवनों को बड़े पैमाने पर मरम्मत की ज़रूरत है और इसके लिए आवंटित 254 करोड़ रुपये की धनराशि वित्त विभाग से अनुमोदन के लिए लंबित है।
राज्य शिक्षा विभाग की पीटीआई भाषा को मिली रिपोर्ट के अनुसार, 2024-25 वित्तीय वर्ष में 710 स्कूल भवनों को बड़े पैमाने पर मरम्मत की आवश्यकता वाले के रूप में चिह्नित किया गया है और उनके नवीनीकरण के लिए 79.24 करोड़ रुपये निर्धारित किए गए हैं।
चालू वित्तीय वर्ष में, ऐसे 2,000 और असुरक्षित स्कूलों को सूचीबद्ध किया गया है, जिनकी मरम्मत के लिए 174.97 करोड़ रुपये के अलग से बजट की घोषणा की गई है।
हालांकि, रिपोर्ट में बताया गया है कि वित्त विभाग द्वारा अभी तक अधिकांश धनराशि स्वीकृत नहीं की गई है, जिससे प्रशासनिक देरी और बजट निष्पादन पर गंभीर सवाल उठते हैं।
रिपोर्ट से पता चला है कि शिक्षा विभाग के 2024-25 और 2025-26 के जोखिम मूल्यांकन में झालावाड़ जिले में 83 भवन संरचनाओं को चिह्नित किया गया था।
झालावाड़ के पिपलोदी गांव में शुक्रवार को सरकारी उच्च प्राथमिक विद्यालय की छत का एक हिस्सा सुबह की प्रार्थना के दौरान गिरने से सात बच्चों की मौत हो गई और 28 अन्य घायल हो गए।
इस त्रासदी पर जनता का आक्रोश जारी है, वहीं स्थानीय प्रशासन द्वारा पिपलोदी में ढही स्कूल की इमारत को तुरंत ढहाने की भी कथित तौर पर सबूत नष्ट करने के लिए आलोचना हो रही है।
कांग्रेस नेता प्रमोद जैन भाया ने बताया कि ‘जिस तरह से झालावाड़ जिला प्रशासन ने भवन संरचना को ढहाने में जल्दबाजी की, वह गंभीर सवाल खड़े करता है। यह सबूत मिटाने की कोशिश जैसा लगता है।’
कई अन्य जिलों में भी जर्जर स्कूल भवनों में दीवार गिरने की घटनाएं सामने आई हैं।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी ने चिह्नित इमारतों पर कार्रवाई करने में नौकरशाही की देरी की आलोचना की।
भाषा
कुंज, रवि कांत रवि कांत