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Tuesday, July 29, 2025

अमर चित्र कथा की कहानियां अब ‘ऑडियो’ पुस्तक के रूप में ‘ऑडिबल’ पर उपलब्ध

Newsअमर चित्र कथा की कहानियां अब ‘ऑडियो’ पुस्तक के रूप में ‘ऑडिबल’ पर उपलब्ध

नयी दिल्ली, 28 जुलाई (भाषा) श्रव्य रूप से कहानी सुनाने के अग्रणी मंच ‘ऑडिबल’ ने सोमवार को ‘कॉमिक’ पुस्तक के प्रकाशक अमर चित्र कथा के साथ अपनी साझेदारी की घोषणा की, जिसके तहत वह अंग्रेजी, हिंदी, मराठी, बंगाली, तेलुगु और तमिल भाषाओं में ‘ऑडियो’ पुस्तक के रूप में उनके कैटलॉग से महाकाव्यों और विरासत की कहानियों को जारी करेगा।

अंग्रेजी भाषा का यह संग्रह अब सुनने के लिए उपलब्ध है, जिसमें फिलहाल 111 प्रिय महाकाव्यों और लोककथाएं मौजूद हैं तथा इसे अमर चित्र कथा की सर्वाधिक लोकप्रिय कहानियों से संकलित किया गया है।

‘ऑडिबल’ के ‘कंट्री मैनेजर’ (भारत) शैलेश सावलानी ने एक बयान में कहा, ‘‘अमर चित्र कथा की कहानियां भारत के सांस्कृतिक ताने-बाने में सचमुच एक विशेष स्थान रखती हैं… इस संग्रह के साथ, हमने आज की पीढ़ी के लिए उस अनमोल अनुभव की पुनर्कल्पना की है और इन कालातीत कहानियों में जीवंत वर्णन और ध्वनि के माध्यम से जान फूंक दी है। प्रत्येक ‘ऑडियोबुक’ को मूल कहानी के सार को संरक्षित करने के लिए विशेषज्ञता से तैयार किया गया है, साथ ही एक नया श्रवण अनुभव भी प्रदान किया गया है।’’

अंग्रेजी भाषा के इस संग्रह में ‘रामायण श्रृंखला’, ‘महाभारत श्रृंखला’, ‘महादेव श्रृंखला’ और ‘जातक पंचतंत्र हितोपदेश श्रृंखला’ जैसी किताबें शामिल हैं।

हिंदी में ऑडियोबुक संस्करण सितंबर 2025 में लॉन्च होने वाले हैं, जबकि मराठी, बंगाली, तमिल और तेलुगु सहित अन्य भाषाओं में संस्करण 2026 में रिलीज होने वाले हैं।

अनंत पई द्वारा 1967 में स्थापित, अमर चित्र कथा भारत के सबसे पुराने और प्रमुख कॉमिक बुक प्रकाशकों में से एक है, जिसके पास 20 भाषाओं में 600 से ज़्यादा कॉमिक बुक की एक सूची है, जो पौराणिक कथाओं, इतिहास, लोककथाओं, दंतकथाओं और शास्त्रीय भारतीय साहित्य पर आधारित है।

अमर चित्र कथा की कार्यकारी संपादक रीना पुरी ने कहा, ‘‘ऑडिबल के साथ इस सहयोग के माध्यम से हम उस विरासत को एक नए आयाम पर ले जा रहे हैं जहां आवाज, ध्वनि और भावनाएं इन कहानियों में एक बिल्कुल अलग समृद्धि लाती हैं। हमारी कहानियां सुनना भारतीय कहानी कहने की जड़ों की ओर लौटने जैसा है, जब कहानियां जोर-जोर से सुनाई जाती थीं और पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ती रहीं।’’

भाषा संतोष

संतोष

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