नयी दिल्ली, चार जून (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2023 में कुछ गैर-शिक्षण पदों के लिए चयनित उम्मीदवारों की नियुक्ति पर रोक लगाने के दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) के फैसले को खारिज कर दिया है।
अदालत ने इसे ‘निष्पक्षता की उपेक्षा’ का एक उत्कृष्ट मामला बताया है।
न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय (डीयू) ने चयन प्रक्रिया को स्थगित करने के अपने ‘गलत निर्णय’ को ‘अवैध रूप से उचित ठहराने’ का प्रयास किया, जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। इसलिए उन्होंने विश्वविद्यालय से ‘आत्मनिरीक्षण’ करने और चयन प्रक्रिया के तार्किक समापन का आह्वान किया।
दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने 30 मई को पारित अपने आदेश में कहा, ‘‘ अंत में मैं यह कहना उचित समझती हूं कि विश्वविद्यालय की मनमानी और अवैध कार्रवाई के कारण याचिकाकर्ताओं ने अपने जीवन और करियर के लगभग दो महत्वपूर्ण वर्ष खो दिए हैं। कुछ याचिकाकर्ताओं ने तो वास्तव में विश्वविद्यालय से नियुक्ति संबंधी पत्र प्राप्त होने पर अपनी पूर्ववर्ती नौकरियों से इस्तीफा भी दे दिया था और कई अब किसी अन्य परीक्षा में सम्मिलित होने की आयु सीमा पार कर चुके हैं। यह न्यायसंगत प्रक्रिया के प्रति घोर उपेक्षा और ‘पूर्वनियोजित सोच’ का उत्कृष्ट उदाहरण है, और विश्वविद्यालय को इस पर आत्मचिंतन करना चाहिए।”
याचिकाकर्ताओं ने 2021 में जारी विज्ञापन के अनुसार प्रयोगशाला परिचर, पुस्तकालय परिचर आदि जैसे विभिन्न गैर-शिक्षण पदों के लिए आवेदन किया था।
डीयू ने 18 अगस्त 2023 को उन अभ्यर्थियों की सूची प्रकाशित की, जिन्हें लिखित परीक्षा में अंतिम चयन के आधार पर नियुक्ति संबंधी पत्र जारी किए गए थे, लेकिन 25 अगस्त 2023 को अभ्यर्थियों की नियुक्ति पर रोक लगा दी गई।
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