नयी दिल्ली, चार जून (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को मुंबई उच्च न्यायालय का फैसला खारिज करते हुए ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज लिमिटेड (बीआईएल) के लिए तीन दशक से अधिक समय तक बिस्कुट बनाने वाली कंपनी को बंद करने की मंजूरी दे दी।
न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा ने उच्च न्यायालय के 17 फरवरी, 2023 के आदेश के खिलाफ दायर हरिनगर शुगर मिल्स लिमिटेड (एचएसएमएल) की अपील पर यह फैसला सुनाया।
एचएसएमएल ने पहले अपने कर्मचारियों को सद्भावना के तौर पर 10 करोड़ रुपये देने की पेशकश की थी। लेकिन अदालत ने इस राशि को बढ़ाकर 15 करोड़ रुपये कर दिया और आठ सप्ताह के भीतर इसका भुगतान करने को भी कहा।
अदालत ने कहा, ‘‘यह देखते हुए कि इस कंपनी के बंद होने से कुछ कर्मचारियों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है और कुछ अन्य बिना किसी गलती के बेरोजगार हो सकते हैं, हम एचएसएमएल के इस कदम की सराहना करते हैं। इस तरह के बयान को रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है।’’
एचएसएमएल की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने सद्भावना राशि बढ़ाने पर निर्णय लेने का काम अदालत पर छोड़ दिया था।
न्यायालय ने कहा, ‘‘हम अपीलकर्ताओं की पेशकश में पांच करोड़ रुपये की बढ़ोतरी करना उचित और न्यायपूर्ण समझते हैं। इस तरह यह राशि हमारे आदेश में उल्लिखित 10 करोड़ रुपये के बजाय 15 करोड़ रुपये हो जाती है।… राशि जारी करने में आठ सप्ताह से अधिक समय नहीं लगना चाहिए।’’
एचएसएमएल तीन दशकों से अधिक समय से ब्रिटानिया के लिए अनुबंध पर बिस्कुट बना रही थी। नवीनतम समझौते को ब्रिटानिया ने 20 नवंबर, 2019 से समाप्त कर दिया था।
इसके बाद एचएसएमएल ने औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 की धारा 25-ओ के तहत अपना परिचालन बंद करने के लिए 28 अगस्त, 2019 को आवेदन किया था।
भाषा प्रेम प्रेम अजय
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