जयपुर, 28 जुलाई (भाषा) राजस्थान मानवाधिकार आयोग (आरएचआरसी) ने टोंक स्थित वनस्थली विद्यापीठ की एक छात्रा द्वारा कथित रूप से आत्महत्या का प्रयास किए जाने से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लिया है और इस प्रतिष्ठित संस्थान में ऐसी घटनाओं पर आश्चर्य व्यक्त किया।
टोंक स्थित वनस्थली विद्यापीठ एक पूर्णतः आवासीय निजी विश्वविद्यालय है जो केवल छात्राओं को शिक्षा प्रदान करता है।
आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति जी आर मूलचंदानी ने 23 जुलाई को संस्थान की एक छात्रा द्वारा कथित तौर पर आत्महत्या के प्रयास का स्वतः संज्ञान लेते हुए टोंक के जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, जिला शिक्षा अधिकारी और वनस्थली विद्यापीठ के प्रतिनिधियों को नोटिस जारी कर घटना की रिपोर्ट मांगी।
आयोग ने जो नोटिस जारी किया, उसमें सख्त शब्दों में कहा गया कि छात्राओं की सुरक्षा और उनके मानवाधिकार ऐसे अधिकार हैं जिन्हें कोई भी छीन नहीं सकता, क्योंकि ये अधिकार उन्हें संविधान ने दिए हैं।
इसमें कहा गया है,’यह दुखद है कि आज प्रसारित समाचार के अनुसार इस संस्थान की एक छात्रा ने 23 जुलाई को छत से कूदकर आत्महत्या करने का प्रयास किया। उक्त छात्रा के बारे में कहीं कोई खबर प्रकाशित नहीं हुई और न ही इस संबंध में नजदीकी थाने में कोई प्राथमिकी दर्ज की गई है और लड़की की हालत भी रहस्यमय है।’
इसके अनुसार,’टोंक जिले के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट और निवाई के क्षेत्राधिकारी घटना की जांच कर रहे हैं, लेकिन लड़की की हालत क्या है, उसे किसने परेशान किया, वह जान देने के लिए छत से क्यों कूदी आदि, ये सभी बिंदु पूरी तरह से अस्पष्ट हैं।’
उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों से माता-पिता अपनी लड़कियों को वनस्थली विद्यापीठ में पढ़ने के लिए भेजते हैं और लाखों रुपये फीस देते हैं। मूलचंदानी ने कहा कि छात्राओं को शैक्षणिक तनाव से बचाना संस्थान प्रबंधन की जिम्मेदारी है ताकि उनके मन में आत्महत्या करने जैसे विचार न आएं।
आयोग ने अधिकारियों से मामले की जांच कर बिना किसी देरी के रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
आयोग 22 अगस्त को मामले की सुनवाई करेगा।
निवाई के क्षेत्राधिमकारी मृत्युंजय मिश्रा ने कहा कि संस्थान में ‘एक लड़की से जुड़ी घटना’ हुई है लेकिन उसने कोई शिकायत नहीं दी है।
हालांकि उन्होंने घटना का कोई भी विवरण देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि शिकायत के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
भाषा पृथ्वी नोमान
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