32.3 C
Jaipur
Tuesday, July 29, 2025

न्यायालय ने तमिलनाडु के यूट्यूबर की याचिका पर जारी किया नोटिस

Newsन्यायालय ने तमिलनाडु के यूट्यूबर की याचिका पर जारी किया नोटिस

नयी दिल्ली, 28 जुलाई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को यूट्यूबर सावुक्कु शंकर की उस याचिका पर नोटिस जारी किया, जिसमें उन्होंने तमिलनाडु की ‘अन्नाल आंबेडकर बिजनेस चैंपियंस स्कीम’ (एएबीसीएस) में कथित वित्तीय अनियमितताओं की सीबीआई जांच का आदेश देने से इनकार करने वाले मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी है।

प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति एन वी अंजारिया की पीठ को शंकर के वकील ने यह भी बताया कि सीबीआई जांच की मांग वाली याचिका दायर करने के बाद उनके घर में तोड़फोड़ की गई।

शंकर ने राज्य की एएबीसीएस और नमस्ते योजनाओं के तहत बड़े पैमाने पर धन की हेराफेरी का आरोप लगाया।

इन योजनाओं का मूल उद्देश्य अनुसूचित जाति के उद्यमियों और सफाई कर्मचारियों को लाभ पहुंचाना था।

याचिका में दावा किया गया कि इन योजनाओं को निजी संस्थाओं की सहायता से, अवैध सरकारी आउटसोर्सिंग और राजनीतिक हस्तक्षेप के माध्यम से अयोग्य लाभार्थियों द्वारा हथिया लिया गया है।

उनके वकील ने कहा, ‘‘ चूंकि मैंने ये मुद्दे उठाए थे, इसलिये मेरे घर में तोड़फोड़ की गई। मैंने सीबीआई से निष्पक्ष जांच की मांग की थी, लेकिन इससे इनकार कर दिया गया इसलिए मैंने उसे भी चुनौती दी है।’’

मद्रास उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि इस तरह के कदम से राज्य पुलिस की ओर से किए गए कामों पर असर पड़ सकता है।

इसके बजाय अदालत ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे जांच पूरी करके 12 सप्ताह के भीतर अंतिम रिपोर्ट दाखिल करें।

उच्च न्यायालय ने सीबीआई जांच का आदेश दिए बिना शंकर की याचिका का निपटारा कर दिया, लेकिन पात्रता मानदंडों का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए योजना के तहत निविदा प्राप्तकर्ताओं का पुनर्मूल्यांकन करने का निर्देश दिया।

शीर्ष अदालत ने न्यायालय की आपराधिक अवमानना के लिए शंकर की पूर्व दोषसिद्धि का भी उल्लेख किया।

एक न्यायाधीश ने टिप्पणी की, ‘‘पहले आपको अवमानना के लिये तलब किया गया था।’’ इस पर शंकर के वकील ने कहा कि बिना शर्त माफ़ी मांगी ली गई थी।

न्यायमूर्ति चंद्रन ने कहा, ‘‘यही तो हर कोई करता है… किसी को बदनाम करो, फिर बिना शर्त माफी मांग लो।’’

अवमानना का संदर्भ 2022 के यूट्यूब साक्षात्कार में शंकर की टिप्पणियों को लेकर था, जिसके कारण मद्रास उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेते हुए अवमानना का मामला दर्ज किया और छह महीने के कारावास की सजा सुनाई।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल 25 सितंबर को उनकी रिहाई का आदेश दिया था, क्योंकि तमिलनाडु गुंडा अधिनियम के तहत रिहाई के तुरंत बाद शंकर को हिरासत में लिया गया था।

उस समय उन पर लगभग 15 आपराधिक मामले थे। इसके बाद शंकर को चार मई को दक्षिणी थेनी से कोयंबटूर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। उन पर 30 अप्रैल को यूट्यूब चैनल पर एक साक्षात्कार में महिला पुलिसकर्मियों और मद्रास उच्च न्यायालय के कुछ न्यायाधीशों के बारे में कथित अपमानजनक बयान देने का आरोप है, जिसके बाद उनके खिलाफ कई प्राथामिकी दर्ज की गईं थीं।

भाषा शोभना दिलीप

दिलीप

Check out our other content

Check out other tags:

Most Popular Articles