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Tuesday, July 29, 2025

ब्रिटेन के साथ व्यापार समझौते का लाभ उठाएं चमड़ा, कपड़ा निर्यातक: वाणिज्य मंत्रालय

Newsब्रिटेन के साथ व्यापार समझौते का लाभ उठाएं चमड़ा, कपड़ा निर्यातक: वाणिज्य मंत्रालय

नयी दिल्ली, 28 जुलाई (भाषा) वाणिज्य मंत्रालय ने सोमवार को चमड़ा और कपड़ा निर्यातकों से भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) के तहत मिलने वाले बाजार पहुंच लाभों का पूरा फायदा उठाने के लिए उत्पादन बढ़ाने और अपनी आपूर्ति श्रृंखलाओं को मजबूत करने का आग्रह किया।

मंत्रालय ने निर्यात बढ़ाने के लिए लंदन स्थित भारतीय दूतावास, ब्रिटेन में खरीदारों और खुदरा विक्रेताओं के साथ मिलकर काम करने का भी सुझाव दिया।

भारत-ब्रिटेन व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (सीईटीए) से सृजित अवसरों पर चर्चा करने के लिए मंत्रालय द्वारा कपड़ा, चमड़ा और ‘फुटवियर’ क्षेत्र से जुड़े पक्षों के साथ आयोजित एक उद्योग संवाद में इन मुद्दों पर चर्चा की गई।

वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि शुल्क समाप्त करने से निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।

यह समझौता भारतीय कपड़ा और परिधान उत्पादों को ब्रिटेन के बाजार में शुल्क-मुक्त पहुंच प्रदान करता है और बांग्लादेश, कंबोडिया और पाकिस्तान जैसे कुछ प्रमुख प्रतिस्पर्धी देशों की तुलना में ब्रिटेन में इन क्षेत्रों को होने वाले शुल्क संबंधी नुकसान (12 प्रतिशत तक) को दूर करता है।

शून्य-शुल्क बाजार पहुंच से सिलेसिलाए वस्त्र, घरेलू कपड़े, कालीन और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों को लाभ होगा और निर्यात में तेज वृद्धि की उम्मीद है।

वाणिज्य मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘इस समझौते से भारतीय कपड़ों की मांग बढ़ाने में मदद मिलेगी और तिरुपुर, जयपुर, सूरत, लुधियाना, पानीपत, भदोही, मुरादाबाद जैसे सभी प्रमुख कपड़ा समूहों को लाभ होगा।’’

व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौता भारतीय उत्पादों पर ब्रिटेन के आयात शुल्क को समाप्त करता है, जो अब तक चमड़े के सामान पर दो से आठ प्रतिशत, चमड़े के जूतों पर 4.5 प्रतिशत और गैर-चमड़े के जूतों पर 11.9 प्रतिशत के था।

इससे भारतीय निर्यातकों के लिए बांग्लादेश, कंबोडिया और वियतनाम जैसे देशों के मुकाबले प्रतिस्पर्धा का स्तर समान हो गया हैं। इन देशों की ब्रिटेन के बाजार में तरजीही पहुंच प्राप्त है।

मंत्रालय ने कहा कि शुल्क समाप्त होने से ब्रिटेन को भारत का चमड़ा और जूते का निर्यात लगभग दोगुना होने की उम्मीद है। यह 2024 में 49.4 करोड़ डॉलर था जिसके तीन साल के भीतर एक अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।

भाषा रमण अजय

अजय

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